टीम मोदी की दलीलों का चक्रव्यूह तोड़ने के लिए राहुल गांधी ने बनाई आंकड़ों के धनुर्धरों की टीम
इस टीम की अगुवाई कर रहे हैं डेटा एनालिटिक्स के नामी धुरंधर प्रवीण चक्रवर्ती. प्रवीण चक्रवर्ती को कांग्रेस पार्टी की डेटा एनलीटिक्स टीम का मुखिया बनाने का एलान खुद राहुल गांधी ने किया था.
नई दिल्ली: गुजरात से लेकर राजस्थान तक बीते दो महीने में आए चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के तेवरों को ताकत का नया टॉनिक दिया है. राहुल गांधी की अगुवाई में आक्रामक रंगत में नज़र आ रही कांग्रेस ने बीते दो महीनों में सरकार का खिलाफ अपनी रणनीति में एक अहम बदलाव किया है और वो है सतत और सधा हुआ प्रहार.
इस रणनीति में कांग्रेस सरकार के तर्कों का मुकाबला आंकड़ों और तथ्यों के पैने तीरों से कर रही है. सरकार को अपने सवालों की जवाबदेही पर लाने की इस रणनीति का चेहरा तो नए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ही हैं लेकिन इसका पर्दे के पीछे आंकड़ों के धनुर्धरों की बाकायदा एक टीम बनाई गई है.
इस टीम की अगुवाई कर रहे हैं डेटा एनालिटिक्स के नामी धुरंधर प्रवीण चक्रवर्ती. प्रवीण चक्रवर्ती को कांग्रेस पार्टी की डेटा एनलीटिक्स टीम का मुखिया बनाने का एलान खुद राहुल गांधी ने किया था. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''मैं प्रवीण चक्रवर्ती की अगुवाई में डेटा एनालिटिक्स विभाग की घोषणा करते हुए बहुत उत्साहित हूं.''
कौन हैं प्रवीण चक्रवर्ती? प्रवीण चक्रवर्ती बिरला इस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी और फिर अमेरिका के नामी व्हार्टन स्कूल से शिक्षित है. आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में काम करने के साथ ही अर्थशास्त्र और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा चुके है.
यह पहला मौका नहीं है जब प्रवीण कांग्रेस से जुड़ रहे हों. 2010 में पीएनबी परिबास में ऊंचे ओहदे की नौकरी छोड़कर प्रवीण, नंदन नीलेकणी की अध्यक्षता में आधार परियोजना के लिए बने UIDAI की पहली टीम में भी शामिल हुए थे.
राहुल गांधी ने किए हैं बड़े बदलाव दरअसल राहुल गांधी ने बीते दो महीनों में पार्टी के कामकाज और प्रबंधन में कई अहम बदलाव किए हैं. इन बदलावों की ही कड़ी में पार्टी के पारम्परिक कंप्यूटर विभाग को बदलकर डेटा एनालिटिक्स विभाग कर दिया गया है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल डेटा एनलीटिक्स का यह काम केवल 5 लोगों की छोटी टीम संभाल रही है लेकिन आगे इसका विस्तार होना है. सूत्र बताते हैं कि इस टीम का काम देश में कांग्रेस पार्टी व उसके नेताओं की लोकप्रियता के सर्वे, प्रचार अभियान फीडबैक का विश्लेषण और चुनाव प्रबंधन के लिए ज़रूरी डेटा एनालिसिस करने का है.
इसके अलावा यह विभाग पार्टी अध्यक्ष के लिए पार्टी के कामकाज पर जानकारी जुटाने एक स्वतंत्र चैनल भी होगा. राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस पार्टी में इस नई डेटा एनालिसिस टीम की अहमियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रवीण चक्रवर्ती सीधे कांग्रेस प्रमुख को ही रिपोर्ट करते हैं.
इसी टीम के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हैं राहुल सूत्र बताते हैं कि यह टीम राहुल गांधी के लिए उन तथ्यों और आंकड़ों को विश्लेषण के साथ पेश करती है जिसका इस्तेमाल वो अपने भाषणों में कर सकते है. सरकार की तरफ से दिए जा रहे तथ्यों की काट और पार्टी के प्रतिकार की रणनीति तय करने में भी इस टीम की अहम भूमिका है.
इस टीम के काम का असर राहुल गांधी के ताजा ट्वीट और बयानों में नज़र आता है. संसद में धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद राहुल ने जो हमला बोला उसमें बेरोजगारी के आंकड़ों के साथ सरकार को घेरने का प्रयास किया.
राहुल गांधी ने आंकड़ों के जरिए उठाया बेरोजगारी का मुद्दा हर रोज 30 हजार युवा नौकरी के बाजार में आते है जिसमे से हम 450 को ही नौकरी दे पा रहे है. इस तरह हम 10 लाख बेकार युवको की फौज तैयार कर रहे है. इसके अलावा राहुल गांधी ने किसानोंकी आत्महत्या और सीमा पर भारत के लिए बढ़ती खतरों का भी मुद्दा उठाया.
राहुल के तेवर बदलने से पार्टी नेता उत्साहित राहुल गांधी के आक्रामक तेवर और धार बढ़ाने वाले बदलावों से पार्टी नेता भी काफी उत्साहित हैं. राहुल यह बखूबी समझ चुके है कि मुकाबला अगर नरेंद्र मोदी जैसी शख्सियत और सरकार में बैठी उनकी टीम से है तो यह ज़रूरी है कि राजनैतिक वार के साथ ही तथ्य धारदार और आंकड़े वज़नदार हों.
क्यों बनानी पड़ी राहुल को ऐसी टीम? यह बताने की ज़रूरत नहीं कि यूपीए सरकार के दौरान उजागर हुए 2जी घोटाले में 1लाख 76 हज़ार करोड़ के घाटे के आंकड़े ने ही कांग्रेस की साख में काफी बड़ा सुराख किया था. आंकड़ा कितना सटीक था इससे ज़्यादा अहम था कि उसे नकारने के लिए पार्टी की तरफ से दी गई 'जीरो लॉस' की थ्योरी ने खासा सियासी नुकसान पहुंचाया.
ऐसे में कांग्रेस की कोशिश प्रधानमंत्री मोदी की दमदार दलीलों का चक्रव्यूह अपने नए धनुर्धरों के साथ तोड़ने की है. क्योंकि 2019 के चुनावी महासमर का औपचारिक शंखनाद भले कभी भी हो लेकिन सेनाओं ने अपनी तैयारी में कमर कसना शुरू कर दिया है.