वॉशिंगटन: कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से विदेशों में फंसे हजारों भारतीयों को वापस लाने के लिए सात मई से केंद्र सरकार का 'वंदे भारत मिशन' शुरू हो गया है. योजना के अनुसार, 12 देशों में फंसे 14,800 भारतीयों को वापस लाने के लिए दो एयरलाइंस सात दिनों में 64 उड़ानों का संचालन करेंगी. अमेरिका से भारतीयों के आने का सिलसिला 9 मई से शुरू होगा. पहले चरण में 9 से 15 मई तक अमेरिका के कई शहरों से भारत के कई शहरों के बीच कमर्शियल फ्लाइट की सेवा शुरू होगी.
उड़ानों में सीटों की संख्या सीमित होगी. इसलिए पहले छात्रों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों या वीजा की खत्म होने की वजह से मुश्किल का सामना करने वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी.
एक लाख 90 हजार भारतीय होंगे एयरलिफ्ट
भारत का ये 'वंदे भारत मिशन' दुनिया के सबसे बड़े हवाई बचाव कार्यों में से एक है. इस दौरान कुल मिलाकर 1लाख 90 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिकों को इस एयरलिफ्ट ऑपरेशन के तहत वापस लाए जाने की उम्मीद है, जिन्हें एक तरफा उड़ान सेवा शुल्क देना होगा.
इसकी तुलना में अगर तीन दशक पहले के ऑपरेशन की बात करें तो एयर इंडिया ने एयरलाइनों के एक ग्रुप का नेतृत्व किया था, जिसमें करीब 1 लाख 11 हजार 711 भारतीयों को वापस लाया गया था. इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना शामिल थी. यह उस समय की बात है जब इराक ने 1990 में कुवैत पर हमला कर दिया था और वहां फंसे भारतीयों को वापस लाना पड़ा था. उस 59 दिवसीय ऑपरेशन में 488 उड़ानें शामिल हुई थीं और यह पहले खाड़ी युद्ध से पहले आयोजित किया गया था.
इस बार की योजना के अनुसार, संयुक्त अरब अमरीत (यूएई) में सात से 13 मई के बीच भारतीयों को लाने के लिए 10 उड़ानें संचालित की जाएंगी, जबकि अमेरिका के लिए सात, मलेशिया के लिए सात और सऊदी अरब के लिए पांच उड़ानें भेजी जाएंगी. इसके बाद इन उड़ानों का फायदा उठाने वाले यात्रियों से एकतरफा सेवा के लिए शुल्क लिया जाएगा, क्योंकि राष्ट्रीय वाहक पहले से ही वित्तीय संकट में है. हाल ही में अपनी अनिश्चित वित्तीय स्थिति के बावजूद एयरलाइन ने कोविड-19 संकट के दौरान विदेश में फंसे 9,000 से ज्यादा यात्रियों को निकाला है.
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