नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ याचिका पर 1000 से ज्यादा वैज्ञानिकों और विद्वानों ने हस्ताक्षर किये
नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को लेकर वैज्ञानिकों और विद्वानों का एक धड़ा नाखुश है. जिसको लेकर एक याचिका पर इन लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं.
![नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ याचिका पर 1000 से ज्यादा वैज्ञानिकों और विद्वानों ने हस्ताक्षर किये Preparation for filing petition regarding Citizenship Amendment Bill नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ याचिका पर 1000 से ज्यादा वैज्ञानिकों और विद्वानों ने हस्ताक्षर किये](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/12/06082753/pjimage-2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक के वर्तमान स्वरूप को वापस लेने की मांग को लेकर एक हजार से अधिक वैज्ञानिकों और विद्वानों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं. यह विधेयक बीते सोमवार की रात संसद में पारित हुआ था. इस विधेयक को लेकर लोकसभा में सात घंटे से भी अधिक समय तक चर्चा हुई थी.
नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी जैसे हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है. वर्तमान स्वरूप को वापस लेने की मांग को लेकर इस याचिका पर हस्ताक्षर सोमवार को विधेयक सदन में रखे जाने से पहले किए गए थे.
इस याचिका में कहा गया है कि विधेयक के वर्तमान स्वरूप में वास्तव में क्या है यह तो हमें पता नहीं है इसलिए हमारा वक्तव्य मीडिया में आई खबरों और लोकसभा में जनवरी 2019 में पारित विधेयक के पूर्व स्वरूप पर आधारित है. इस पर जानेमाने शिक्षाविद् प्रताप भानु मेहता का कहना था कि इस कानून से भारत एक असंवैधानिक नस्लीतंत्र में बदल जाएगा.
याचिका में कहा गया है कि चिंताशील नागरिकों के नाते हम अपने स्तर पर वक्तव्य जारी कर रहे हैं ताकि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को सदन पटल पर रखे जाने की खबरों के प्रति अपनी निराशा जाहिर कर सकें.
याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े विद्वान शामिल हैं. नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि अगर ये विधेयक पारित हुआ तो वह सविनय अवज्ञा करेंगे.
विधेयक को लेकर शिक्षाविद् और इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की और उन पर आरोप लगाया कि उन्हें मोहम्मद अली जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धान्त से कोई ऐतराज नहीं. विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन गैर मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो. उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![अनिल चमड़िया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/4baddd0e52bfe72802d9f1be015c414b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)