नई दिल्ली: कांग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने को असंवैधानिक करार दिये जाने के बीच गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र इस राज्य में चुनाव को तैयार है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने और विकास को गति प्रदान करने को प्रतिबद्ध है.
जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 356 लगाये जाने के संबंध में सांविधिक संकल्प पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर में कोई भी गलत या अनैतिक कार्य इस सरकार के तहत नहीं होगा.'' राज्य में चुनाव कराने के बारे में कुछ सदस्यों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव कराना चुनाव आयोग का काम है लेकिन हम चुनाव के लिये पूरी तरह से तैयार हैं. अगर आयोग चुनाव के संबंध में सुरक्षा मांगता है तो हम प्रदान करेंगे.
राज्यपाल का आवास बहुमत साबित करने का स्थान नहीं है- फारूक अब्दुल्ला
सिंह ने कहा कि केंद्र लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये पूरी तरह से तैयार है. लोकसभा ने इस संबंध में राजनाथ सिंह द्वारा पेश सांविधिक संकल्प को मंजूरी दे दी. चर्चा के दौरान नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के प्रस्तावित गठबंधन द्वारा राज्य में सरकार बनाने के प्रयास का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य के राज्यपाल की फैक्स मशीन काम नहीं कर रही थी, फोन काम नहीं कर रहा था. ऐसे में वह कहना चाहेंगे कि राज्यपाल का आवास बहुमत साबित करने का स्थान नहीं है, यह स्थान विधानसभा ही है. राज्यपाल ने इंतजार नहीं किया और विधानसभा भंग कर दी.
इस पर जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने का बचाव करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि बीजेपी की मंशा पर सवाल नहीं किया जा सकता. अगर बीजेपी को सरकार बनानी होती तो वह छह महीने के समय में कोशिश कर सकती थी, लेकिन हमने नहीं किया. उन्होंने जोर दिया कि हो सकता है कि एक-दो लोगों ने कोई प्रयास किया हो लेकिन हमारी तरफ से, हमारी सरकार की तरफ से कोई प्रयास नहीं हुआ.
चूंकि सरकार बनाने को कोई तैयार नहीं था और इस बारे में राज्यपाल की रिपोर्ट थी, ऐसी परिस्थिति में अनुच्छेद 356 का प्रयोग किया गया. राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं था. राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने बार-बार अपील की है कि सभी पक्षों से बात करके हम समस्या का समाधान निकालना चाहते हैं. हम दो बार सर्वदलीय शिष्टमंडल लेकर भी गए.
राजनाथ ने कहा कि हम राज्य में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत बनाना चाहते हैं. इसके तहत स्थानीय निकायों को वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार दिया गया है. युवाओं को रोजगार के प्रबंध किये गए हैं और विकास कार्यों पर जोर दिया जा रहा है.
अनुच्छेद 356 के प्रयोग के संदर्भ में राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने स्वयं एक बार राज्यपाल से पूछा कि क्या वहां कोई भी सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है? ''मैंने अखबार में पढ़ा था कि नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस तीनों पार्टियां मिलकर सरकार बना सकती हैं. लेकिन सुबह मैंने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद का बयान पढ़ा कि कांग्रेस नहीं बनाना चाहती. इसलिए मेरी धारणा बनी कि वहां कोई भी सरकार नहीं बनाना चाहता. राज्यपाल ने भी कहा कि कोई भी सरकार नहीं बानाना चाहता है.''
राज्य में बीजेपी और पीडीपी के मिलकर सरकार बनाने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आप इसे अस्वाभाविक विवाह कहिए या क्या कुछ भी कहिए. जिसे नैचुरल मैरिज कहा जाता है वह भी कब टूट जाए, उसका पता नहीं. सिंह ने कहा, ''कश्मीर के लोग हमसे अलग नहीं है. कश्मीर की ऐसी हालात देखकर हर व्यक्ति को तकलीफ होती है. मैंने बार बार यही कहा है कि मैं कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए तैयार हूं, राजनीतिक दल बताएं कि क्या किया जा सकता है?'' उन्होंने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल कुछ दलों के नेता अलगावादियों से मिलने के लिए गए थे, लेकिन उन्हें किस तरह से लौटना पड़ा, उसका वह जिक्र नहीं करना चाहते.
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गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू्-कश्मीर के हालात बहुत नाजुक थे. हमने स्थिति को ठीक करने के लिए कई प्रयास किए. स्थानीय निकाय के चुनाव में यह किया. हमने स्थानीय निकायों को वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियां दी हैं ताकि उनकी निर्भरता राज्य सरकार और केंद्र पर नहीं रहे. उन्होंने कहा कि नौजवानों को रोजगार देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सरकार की तरफ से जितना भी प्रयास होने चाहिए, हम कर रहे हैं.
चर्चा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, सीपीआईएम, एनसीपी, आरजेडी, एसपी, अन्नाद्रमुक सहित विभिन्न दलों ने हिस्सा लिया. कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने को असंवैधानिक करार देते हुए शुक्रवार को लोकसभा में सवाल किया कि किन परिस्थितियों में अनुच्छेद 356 का प्रयोग किया गया और राज्य में विधानसभा चुनाव कब तक कराये जायेंगे?
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