(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
PM Modi in Kanpur: 'आपने मेरे साथ अन्याय कर दिया', राष्ट्रपति कोविंद से ऐसा क्यों बोले पीएम मोदी, खुद ही किया खुलासा
PM Modi Welcomed by President Kovind: पीएम मोदी ने कहा कि आज राष्ट्रपति जी ने पद के द्वारा बनी हुई सारी मर्यादाओं से बाहर निकलकर मुझे आज हैरान कर दिया कि वे स्वयं हेलीपैड पर मुझे लेने आए.
PM Modi Kanpur Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने कानपुर देहात (Kanpur Dehat) में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज यहां आकर वाकई मन को बहुत सुकून मिला है. इस गांव ने राष्ट्रपति जी का बचपन भी देखा है और बड़े होने पर उनको हर भारतीय का गौरव बनते हुए भी देखा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां आने से पहले राष्ट्रपति जी ने मुझसे इस गांव से जुड़ी कई यादें भी साझा की. आज राष्ट्रपति जी के गांव में आने का मेरा ये अनुभव एक सुखद स्मृति की तरह है. जब में राष्ट्रपति जी के साथ विभिन्न स्थानों को देख रहा था, तो मैंने भारत के गांव की कई आदर्श छवियों को भी महसूस किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि परोपकार की मिट्टी से राष्ट्रपति जी को जो संस्कार मिले हैं उसकी साझी आज दुनिया बन रही है. मैं देख रहा था कि एक तरफ संविधान और दूसरी तरफ संस्कार. आज राष्ट्रपति जी ने पद के द्वारा बनी हुई सारी मर्यादाओं से बाहर निकलकर मुझे आज हैरान कर दिया कि वे स्वयं हेलीपैड पर मुझे लेने आए. मैंने कहा राष्ट्रपति जी आपने मेरे साथ अन्याय कर दिया, तो उन्होंने सहज रूप से कहा कि संविधान की मर्यादाओं का पालन तो मैं करता हूं, लेकिन कभी-कभी संस्कार की भी अपनी ताकत होती है. आज आप मेरे गांव आए हैं, मैं यहां पर अतिथि का सत्कार करने आया हूं, राष्ट्रपति के रूप में नहीं आया हूं.
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जहां ममता भी हो, समता भी हो
पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने अपने पैतृक आवास को मिलन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए दे दिया था. आज वो विमर्श और ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर महिला सशक्तिकरण को नई ताकत दे रहा है. महात्मा गांधी भारत की आज़ादी को भारत के गांव से जोड़कर देखते थे. पीएम मोदी ने कहा कि भारत का गांव यानी, जहां आध्यात्म भी हो, आदर्श भी हों. भारत का गांव यानी, जहां परम्पराएं भी हों, और प्रगतिशीलता भी हो. भारत का गांव यानी, जहां संस्कार भी हो, सहकार भी हो. जहां ममता भी हो, समता भी हो.
परिवारवाद से सावधान रहने की जरूरत
प्रधानमंत्री बोले हमारे गांवों के पास सबसे ज्यादा सामर्थ्य है, सबसे ज्यादा श्रम शक्ति है, और सबसे ज्यादा समर्पण भी है. इसलिए भारत के गांवों का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. भारत में गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद पहुंच सकता है. आज जब हम लोकतन्त्र की इस ताकत की चर्चा कर रहे हैं तो हमें इसके सामने खड़ी परिवारवाद जैसी चुनौतियों से भी सावधान रहने की जरूरत है.
लोग मुझसे भड़के हुए हैं
पीएम मोदी ने कहा कि ये परिवारवाद ही है जो राजनीति ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटता है, उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है. मैं देख रहा हूं कि जो लोग परिवारवाद की मेरी व्याख्या में सही बैठते हैं वो लोग मुझसे भड़के हुए हैं. देश के कोने-कोने में ये परिवारवादी मेरे खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. वो इस बात से भी नाराज हैं कि क्यों देश का युवा परिवारवाद के खिलाफ मोदी की बातों को इतना गंभीरता से ले रहा है. मैं इन लोगों को कहना चाहता हूं कि मेरी इस बात का गलत अर्थ ना निकालें. मेरी किसी राजनीतिक दल से या किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है. मैं तो चाहता हूं कि देश में एक मजबूत विपक्ष हो, लोकतंत्र को समर्पित राजनीतिक पार्टियां हों.
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