New CJI: देश के अगले चीफ जस्टिस नियुक्त हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें
डीवाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर को देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे, वो देश के 50वें न्यायाधीश होंगे. उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ भी इस देश के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं.
New Chief Justice Of India: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) को देश का अगला चीफ जस्टिस (CJI) नियुक्त कर दिया है. 9 नवंबर से पद संभालने जा रहे जस्टिस चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा.
11 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम केंद्र सरकार को भेजा था. आज उसे मंजूरी मिल गई. 11 नवंबर 1959 को जन्मे जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय के लिए इस अहम पद पर रहे. वह 1978 से 1985 यानी 7 साल तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे.
कैसा रहा है लीगल करियर?
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे. उससे पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. जज के रूप में उनकी पहली नियुक्ति साल 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट में हुई थी. उससे पहले 1998 से 2000 तक वह भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसीटर जनरल रहे. उन्होंने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने प्रतिष्ठित हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई की.
जस्टिस चंद्रचूड़ की एक खास बात यह है कि उनके चेहरे पर हर समय एक सहज मुस्कान होती है. वह जूनियर वकीलों से भी उसी सम्मान से पेश आते हैं, जितना जाने-माने वकीलों से. यहां तक कि किसी केस को खारिज करते समय भी वह वकील को विनम्र लहज़े में विस्तार से उसकी वजह बताते हैं.
एडलटरी के फैसले में भी था अहम योगदान
उदार छवि के फैसलों में हमेशा उनके व्यक्तित्व की छाप दिखी है. व्यभिचार के लिए लगने वाली आईपीसी की धारा 497 को रद्द करते समय दिए गए फैसले में उन्होंने लिखा कि एक शादीशुदा महिला की भी अपनी स्वायत्तता है. उसे अपने पति की संपत्ति की तरह नहीं देखा जा सकता. उसका किसी और पुरूष से संबंध रखना तलाक का उचित आधार हो सकता है, लेकिन इसे अपराध मान कर दूसरे पुरुष को जेल में डाल देना गलत होगा.
मैरिटल रेप के बारे में भी की थी अहम टिप्पणी
हाल ही में उन्होंने अविवाहित महिलाओं को भी 20 से 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति दी. इस ऐतिहासिक फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि अगर पति ने ज़बरन संबंध बना कर पत्नी को गर्भवती किया है, तो उसे भी 24 हफ्ते तक गर्भपात का अधिकार होगा. इस तरह गर्भपात के मामले में ही कानून में पहली बार वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप को मान्यता मिली.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समेत तमाम मौलिक अधिकारों को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ सजग रहे हैं. उन्होंने राजनीतिक और वैचारिक रूप से अलग-अलग छोर पर खड़े लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक जैसा आदेश दिया. वह यह कि सिर्फ अपने विचार व्यक्त करने के लिए किसी को जेल में डाल देना सही नहीं है.
सेना में स्थाई कमीशन को लेकर भी दिया था अहम फैसला
लंबे समय से सेना में स्थायी कमीशन के लिए लड़ाई लड़ रही महिला अधिकारियों को भी उन्होंने राहत दी. अयोध्या मामले का फैसला देने वाली 5 जज़ों की बेंच के जस्टिस चंद्रचूड़ भी सदस्य थे. आधार मामले ओर फैसला देते हुए उन्होंने निजता को मौलिक अधिकार घोषित करवाने में अहम भूमिका निभाई.
कोविड (Covid-19) के दौर में उन्होंने ऑक्सीजन और दवाइयों की उपलब्धता पर कई आदेश दिए. एक ऐसा मौका भी आया जब वह खुद कोरोना (Corona) पीड़ित होने के बावजूद अपने घर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए सुनवाई से जुड़े. हाल ही में उन्होनें रात 9 बज कर 10 मिनट तक कोर्ट की कार्यवाही चलाई और उस दिन अपने सामने लगे सभी मामलों को निपटाया.
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