राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार (1 सितंबर 2024) को भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय जिला न्यायापालिका राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में सुप्रीम कोर्ट का नया ध्वज और प्रतीक चिन्ह जारी किया. जिला अदालतों पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आयोजित राष्ट्रीय कांफ्रेंस के समापन सत्र में पहुंची राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर शुभकामनाएं दीं.


न्याय देने में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका की सराहना की


राष्ट्रपति ने लोगों को न्याय देने में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका की सराहना भी की. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के सम्मान में सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के सेंट्रल रिज क्षेत्र में 75 पौधे लगाएगा.


इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि लोगों के जल्द से जल्द न्याय मिले इसके लिए अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के प्रयास किए जाने की जरूरत है. जिला न्यायपालिका के दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का होना हम सभी एक बड़ी चुनौती है. राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय की रक्षा करना देश के सभी जजों की जिम्मेदारी है."


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि कोर्ट के माहौल में आम लोगों का तनाव बढ़ जाता है. उन्होंने इस विषय पर अध्ययन को लेकर सुझाव भी दिया. उन्होंने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में बढ़ोतरी पर भी प्रसन्नता जताई. दिल्ली में इस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी थे. 


कार्यक्रम में क्या बोले सीजेआई?


इस कार्यक्रम में बोलते हुए भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सच्चाई यह है कि जिला स्तर पर केवल 6.7 फीसदी अदालती बुनियादी ढांचा ही महिला अनुकूल है, जिसे बदलने की जरूरत है. हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारी अदालतें हमारे समाज के सभी सदस्यों, विशेषकर महिलाओं और अन्य कमजोर समूहों जैसे विकलांग व्यक्तियों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान करें.


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