राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु ने की महिला जजों की भागीदारी की वकालत, कहा- 'एक मां अपने बच्चों से भेदभाव नहीं करती है, मुझे लगता है कि...'
Droupadi Murmu MP Visit: राष्ट्रपति जबलपुर में नए हाईकोर्ट भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल हुईं. इस दौरान उन्होंने आंकड़ों के साथ न्यायपालिका में महिलाओं की भूमिका पर बात की.
Droupadi Murmu in Jabalpur High Court: राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु बुधवार (27 सितंबर) को मध्य प्रदेश दौरे पर आईं. राष्ट्रपति यहां जबलपुर में नए हाई कोर्ट भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल हुईं. यहां मौजूद लोगों संबोधित करते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में महिलाओं की भागीदारी को लेकर अपनी बात कही.
उन्होंने कहा, "हम सब लोगों पर समाज का कर्ज है. समाज में पीछे रहे गए लोगों की मदद करके हम इस कर्ज को उतार सकते हैं. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के नेतृत्व में एक सराहनीय पहल की गई है, जिसके अंतर्गत इस हाई कोर्ट के सभी जज हर माह एक निश्चित राशि गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए देंगे."
महिलाओं की भूमिका पर क्या कहा?
महिलाओं की भूमिका पर बोलते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट में करीब 9 फीसदी और हाई कोर्ट में लगभग 14 फीसदी महिला जज हैं. मुझे लगता है कि यहां भी महिलाओं की समुचित भागीदारी होनी चाहिए. मेरा मानना है कि महिलाओं में न्याय करने का स्वाभाविक भाव होता है, इस वजह से कहा जाता है कि एक मां अपने बच्चों के बीच भेद-भाव नहीं करती है."
एमपी हाई कोर्ट की तारीफ की
राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, "मुझे यह जानकर खुशी है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जिला अदालतों में दशकों से लंबित केस के निपटारे के लिए ‘25 DEBT’ नाम से एक विशेष अभियान शुरू किया है. इसके अंतर्गत जिला न्यायपालिका के हर जज को अपने कोर्ट में 25 सबसे पुराने मामलों को नियमित आधार पर निपटारे के निर्देश दिए गए हैं."
राष्ट्रपति मूर्मु न्याय व्यवस्था में ऑनलाइन सुविधा की तारीफ की. उन्होंने कहा, "ई-कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-प्रोसिडिंग और ई-फिलिंग की सहायता से जहां न्याय-प्रशासन की सुगमता बढ़ी है, वहीं कागज के प्रयोग में कमी आने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी संभव हुआ है."
राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार के द्वारा ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी देने की भी तारीफ की. कर्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह पंच-परमेश्वर का देश है, यहां न्याय की परिकल्पना ग्रामीण व्यवस्था में शुरू से थी.