राष्ट्रपति चुनाव: जानें क्यों मजबूत है द्रौपदी मूर्मू की 'दावेदारी'
नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जैसे जैसे खत्म होने की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे राष्ट्रपति पद के दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस रेस में महिला दावेदारों के नाम की भी चर्चा है. महिला दावेदारों में बीजेपी की ओर से झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मूर्मू का नाम सबसे आगे है. मूर्मू की दावेदारी इसलिए भी मजबूत दिख रही है क्योंकि वो आदिवासी समुदाय से आती हैं.
कौन हैं द्रौपदी मूर्मू?
राजनीतिक गलियारों में इस बात की सरगर्मी है कि पीएम मोदी राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मूर्मू के नाम पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. द्रौपदी मूर्मू 18 मई 2015 से राज्यपाल के पद पर हैं. मूर्मू मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली हैं और 2000 से 2004 तक रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं. वे ओडिशा सरकार में वाणिज्य, मछली पालन मंत्री भी रह चुकी हैं.
60 साल की द्रौपदी मूर्मू बेदाग छवि की नेता हैं. राजनीति में आने से पहले वे सचिवालय में नौकरी करती थीं. 1997 में नगर पंचायत के पार्षद से राजनीतिक सफर शुरू किया.
द्रौपदी मूर्मू ओडिशा की पहली महिला नेता हैं जिन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाया गया है. अगर वो देश की राष्ट्रपति बनती हैं तो पहला मौका होगा कि ओडिशा से कोई महिला राष्ट्रपति बनेगी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल खत्म हो रहा है. सत्ताधारी एनडीए में कई दावेदार हैं लेकिन अभी तक किसी नाम पर पार्टी ने अंतिम मुहर नहीं लगाई है.
क्यों मजबूत दिख रहा है द्रोपदी मूर्मू का दावा ? द्रौपदी मूर्मू के पक्ष में सबसे बड़ी बात उनका आदिवासी समाज से होना है. बीजेपी अब आदिवासी, दलित वोट बैंक पर ही पूरा जोर लगा रही है. मूर्मू के राष्ट्रपति बनाने से दलित-आदिवासियों के बीच बड़ा संदेश जाएगा. ओडिशा में 22 फीसदी आदिवासी, 16 फीसदी दलित वोटर हैं.
ओडिशा ऐसा राज्य है जो राजनीतिक रूप से अब तक बीजेपी के लिए कमजोर माना जाता रहा है. यहां चुनाव भी होने हैं, पार्टी ने यहां ताकत बढ़ाने के लिए हाल के दिनों में पूरा जोर लगाया है. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी पिछले दिनों ओडिशा में हुई है.
मूर्मू के राष्ट्रपति बनने से बीजेपी प्रदेश में बड़ी ताकत बनकर उभर सकती है. राजनीतिक रूप से इसका फायदा 2019 में ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के साथ ही आने वाले दिनों में गुजरात में भी हो सकता है. यही वजह है कि द्रौपदी मूर्मू का दावा बाकी दावेदारों पर भारी पड़ता दिख रहा है.
20 साल के राजनीतिक करियर में मूर्मू ने कभी पीछे पलटकर नहीं देखा. पार्षद से प्रेसिडेंट तक का सफर अगर सफल होता है तो न सिर्फ आदिवासी समाज की बल्कि ओडिशा जैसे राज्य की बड़ी जीत होगी. मूर्मू की उम्मीदवारी बीजेपी को तो फायदा पहुंचाने वाली होगी ही इस चुनाव में वोट के लिहाज से भी फायदा होगा. मूर्मू उम्मीदवार बनती हैं तो बीजेडी का सहयोग मिल सकता है. बीजू जनता दल सहयोग नहीं करती तो राज्य में पार्टी के खिलाफ संदेश जाएगा. मूर्मू के नाम पर झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी साथ मिल सकता है.
अगर मूर्मू की उम्मीदवारी होती तो विपक्ष से हो सकतीं हैं मीरा कुमार मूर्मू अगर एनडीए की ओर से राष्ट्रपति की उम्मीदवार बनती हैं तो फिर यूपीए मीरा कुमार को मैदान में उतार सकता है. मीरा कुमार यूपीए टू में लोकसभा अध्यक्ष रह चुकी हैं.
मीरा भी दलित समुदाय से आती हैं और यूपीए वन में सामाजिक न्याय मंत्री रह चुकी हैं. मीरा कुमार पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं. वे मूल रूप से बिहार की रहने वाली हैं.
मूर्मू बनाम मीरा की टक्कर होती है या नहीं इसका इंतजार पूरे देश को है. वैसे एनडीए की ओर से मौजूदा लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन का नाम भी चर्चा में है. जहां तक वोट का सवाल है तो एनडीए के पास राष्ट्रपति बनाने के लिए प्रर्याप्त वोट नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि बीजेपी जिसे उम्मीदवार बनाएगी अगले महीने देश का नया राष्ट्रपति वही होगा.