President House History: भारत की सत्ता का केंद्र समझे जाने वाले रायसीना हिल्स (Raisina Hills) राजधानी दिल्ली (Delhi) में स्थित वो इलाका है, जहां भारत की सबसे महत्वपूर्ण इमारतें स्थित हैं. जिनमें राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से लेकर तमाम बड़े मंत्रालयों के दफ्तर मौजूद हैं. इसके अलावा इस इलाके में संसद भवन, राजपथ और इंडिया गेट जैसी अन्य एतिहासिक धरोहर भी शामिल हैं.


आइए जानते हैं दिल्ली की रायसीना हिल्स पर बसे राष्ट्रपति भवन (President House) के बारे में वो सबकुछ जो इस विशालकाय इमारत को इतना भव्य और महत्वपूर्ण बनाता है. राष्ट्रपति भवन केवल एक इमारत ना होकर आजादी की लड़ाई का प्रतीक भी है. 


क्यों किया गया इस इमारत का निर्माण?


दरअसल, आजादी से पहले भारत पर अंग्रेजों का राज था. अंग्रेजी हुकूमत (British Rule) ने उस समय कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया हुआ था. लेकिन 1911 में अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली शिफ्ट करने का मन बनाया. अंग्रेज दिल्ली में राजधानी शिफ्ट करने से पहले वहां पर एक ऐसी विशाल इमारत का निर्माण करना चाहते थे, जिसे सदियों तक याद रखा जाए. इसके लिए उचित जमीन की तलाश शुरू की गई. काफी खोजबीन के बाद अंग्रेजों ने रायसीना की पहाड़ियों को इस इमारत के निर्माण के लिए चुना. 


ब्रिटिश वायसराय के लिए इस शानदार इमारत का नक्शा बनाने की जिम्मेदारी तब के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) को चुना गया. उन्होंने इसका नक्शा तैयार किया. नक्शे को मंजूरी मिलती इसके निर्माण का काम शुरू कर दिया गया.


चार साल की जगह लग गए 17 साल


वायसराय के लिए महल को चार साल में बनाने का टारगेट रखा गया था, लेकिन इसके निर्माण में 17 साल का लंबा समय लग गया. 1912 में इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया जो 17 साल बाद 1929 में जाकर खत्म हुआ. सरकारी डेटा के अनुसार, 340 कमरों वाली इस इमारत को बनाने में 70 करोड़ ईटों और 30 लाख पत्थरों का इस्तेमाल किया गया. वहीं, इस बिल्डिंग को बनाने में 29 हजार कारीगरों लगाए गए. राष्ट्रपति भवन में प्राचीन भारतीय शैली के साथ, मुगल और पश्चिमी शैली की झलक भी देखने को मिलती है. 


आज भी कायम है ये परंपरा


आजादी के बाद दो साल तक इस इमारत को गर्वमेंट हाउस के नाम से जाना जाता रहा. 1950 में देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद बने. उसी समय गर्वमेंट हाउस को राष्ट्रपति भवन में बदल दिया गया. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति भवन की भव्यता को अपना नहीं पाए और गेस्टरूम में रहने लगे. बता दें कि गेस्टरूम में रहने की परंपरा आज भी कायम है. इस भवन में लगभग 340 कमरे हैं. इसके बैंक्वेट हॉल में 104 लोग बैठ सकते हैं. बता दें कि इटली के रोम में स्थित क्यूरनल पैलेस के बाद ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निवास स्थान है. 


दरबार हॉल


राष्ट्रपति भवन में मौजूद दरबार हाल (Durbar Hall) की खूबसूरती देखते ही बनती है. दरबार हाल को कई प्रकार के रंगीन पत्थरों से सजाया गया है. हॉल में दो टन का विशाल झूमर इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है. दरबार हॉल राष्ट्रपति भवन की सबसे खास जगह है. लॉर्ड माउंटबेट ने 15, अगस्त 1947 को इसी दरबार हॉल में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को शपथ दिलाई थी. वहीं, 26 जनवरी, 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने भी इसी हॉल में शपथ ली थी. उनके अलावा इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक इस हॉल में अपने पद की शपथ ले चुके हैं.


अशोका हॉल


अशोका हॉल (Ashoka Hall) की दीवारों और छत पर बेहद खूबसूरत बारिक नक्काशी की गई है. इसकी खूबसूरती देख हर कोई इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता. इस हॉल में हर एक चीज को बहुत ही बारिकी से तराशा गया है. मौजूदा समय में राष्ट्रपति इसी कक्ष में आधिकारिक बैठकें करते हैं.


बैक्वेट हॉल


राष्ट्रपति भवन के बैंक्वेट हॉल में कई फीट लंबी टेबल लगी हुई है. जिस पर 104 लोग एक साथ बैठकर खाना खा सकते हैं. बैंक्वेट हॉल में एक खास तरह की लाइट का बंदोबस्त किया गया है, जो यहां काम करने वाले बटलर को इशारा करती है कि किस समय मेहमानों को खाना परोसना है और कब प्लेटें उनके सामने से हटानी हैं. अब अगर इतने सारे लोग खाना खाने बैठते हैं तो ये कैसे पता चलेगा कि उनमें से कौन शाकाहारी है और कौन मांसाहारी. इसका पता लगाने के लिए हर शाकाहारी भोजन करने वाले के सामने एक गुलाब रखा रखा होता है. 


मुगल गार्डन


राष्ट्रपति भवन की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है इसमें मौजूद मुगल गार्डन (Mughal Gardern). ये लगभग 15 एकड़ में फैला हुआ है. इस गार्डन में दुनियाभर के खूबसूरत फूल देखने को मिलते हैं. पूरे साल इस गार्डन को बंद रखा जाता है, केवल फरवरी से मार्च के बीच इसे लोगों के लिए खोला जाता है. 


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