नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को परमाणु क्षमता से लैस अंतर महाद्वीपीय मिसाइल अग्नि-पांच के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी और कहा कि इससे भारत की सामरिक प्रतिरक्षा में जबरदस्त इजाफा होगा.
ओड़िशा अपतटीय क्षेत्र में स्थित अब्दुल कलाम द्वीप से भारत की सर्वाधिक घातक मिसाइल के परीक्षण के बाद राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, ‘‘अग्नि पांच के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ को बधाई. इससे हमारी सामरिक और प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होगा.’’ प्रधानमंत्री ने इसका श्रेय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और यहां के वैज्ञानिकों की मेहनत को दिया.
उन्होंने कहा, ‘‘अग्नि पांच के सफल परीक्षण ने हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. इससे हमारी सामरिक प्रतिरक्षा में जबरदस्त इजाफा होगा.’’ यह इस मिसाइल के विकास से जुड़ा चौथा और कैनिस्टर प्रकार का दूसरा परीक्षण था. यह मिसाइल 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेदने में सक्षम है.
इससे पहले 19 अप्रैल, 2012 को अग्नि-पांच का पहला, 15 सितंबर, 2013 को दूसरा और 31 जनवरी, 2015 को तीसरा परीक्षण किया गया. सूत्रों ने बताया कि अग्नि श्रृंखला की यह सबसे आधुनिक मिसाइल है, जिसमें नेविगेशन, गाइडेंस, वारहेड और इंजन से जुड़ी नयी तकनीकों को शामिल किया गया है.
इस दौरान स्वदेश में निर्मित कई नयी प्रौद्योगिकी का भी सफल परीक्षण किया गया. बहुत सटीक रिंग लेजर गायरो आधारित इनरशियल नेविगेशन सिस्टम और सबसे आधुनिक एवं सटीक माइक्रो नेविगेशन सिस्टम ने कुछ मीटर की सटीकता से लक्ष्य भेदन को सुनिश्चित किया. डीआरडीओ के एक अधिकारी ने बताया कि बहुत तेज गति से चलने वाले कंप्यूटर और चूक का पता लगाने वाले सॉफ्टवेयर और मजबूत और विश्वसनीय बस ने मिसाइल का मार्गदर्शन किया.