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AAP के 20 विधायक अयोग्य करार, चुनाव आयोग के फैसले पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई
आप के सभी 20 विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन जस्टिस रेखा पल्ली ने कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था.
नई दिल्ली: संसदीय सचिव बनाए जाने मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है. अब आप को सिर्फ हाईकोर्ट के दर से राहत की आस है. आज आप की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है लेकिन पिछली सुनवाई में लगी फटकार के बाद आज ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है.
आप लगातार कह रही है कि उनकी बात को बिना सुने हुए फैसला दिया गया है लिहाजा वो इस फैसले को चुनौती देंगे. हालांकि आप विधायकों की एक याचिका हाईकोर्ट में पहले ही लंबित है जिस पर आज सुनवाई होनी है. इस याचिका में आप विधायकों ने मांग की थी कि अगर चुनाव आयोग ने किसी भी तरह की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी है तो उस पर रोक लगा दी जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने शुक्रवार को किसी भी तरह की अंतरिम रोक से इंकार कर दिया था.
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ऐसे में अब आप विधायकों के सामने विकल्प एक ही है कि वो राष्ट्रपति के आदेश के बाद जारी विधायकों की सदस्यता को रद्द करने वाली अधिसूचना को अदातल में चुनौती दें. वैसे आप विधायकों की उस याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है तय है जिसमें आप विधायकों ने चुनाव आयोग की किसी भी सिफारिश या कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी.
हालांकि राष्ट्रपति के फैसले के बाद उस याचिका का अब कोई खास मतलब फिलहाल नहीं दिखता. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने से जुड़ी चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर कर लिया. लाभ के पद के चलते आयोग ने इन विधायकों को अयोग्य ठहराया था.
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आप विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था और इस पद को याचिकाकर्ता ने लाभ का पद बताया था. आप को झटका देते हुये चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रपति से 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया था. आप के सभी 20 विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन जस्टिस रेखा पल्ली ने कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाए हैं. काटजू ने लिखा है, ‘’आजादी के बाद से अब तक अलग-अलग राज्यों में 9500 से ज्यादा संसदीय सचिव नियुक्त किए गए हैं. चुनाव आयोग ने सिर्फ 455 को नोटिस दिए, हाईकोर्ट ने 100 की याचिकाएं खारिज की लेकिन ये पहली बार है कि किसी विधायक को अयोग्य करार दिया गया है. शुद्ध राजनीति द्वेष.’’
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