नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के नए दफ्तर परिसर का आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उद्घाटन किया. आधुनिक सुविधाओं से लैस नया भवन मुख्य इमारत से करीब 150 मीटर दूर है. इस इमारत में कोर्ट के कई प्रशासनिक दफ्तर शिफ्ट हो जाएंगे. लेकिन अदालती कार्रवाई पुराने भवन में ही चलती रहेगी.


लंबे समय से थी ज़रूरत


60 साल पहले बनी सुप्रीम कोर्ट की मुख्य इमारत अपने समय के हिसाब से काफी बड़ी थी. लेकिन समय के साथ जगह कम पड़ती गई. जगह की कमी से सभी विभागों को काम मे दिक्कत आ रही थी. लंबे अरसे से वकीलों को चैंबर आवंटित नहीं हो रहे थे. पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते कोर्ट के आस-पास जाम की स्थिति बनी रहती थी. नई इमारत से इन समस्याओं का हल हो जाएगा.


पहले से बहुत बड़ी इमारत


कभी बच्चों के आकर्षण का खास केंद्र रहे अप्पू घर की जगह पर बना ये परिसर 12 एकड़ से भी ज़्यादा क्षेत्र में फैला है. इसमें कोर्ट के ज़्यादातर प्रशासनिक विभाग शिफ्ट हो जाएंगे. यहां कोर्ट के लगातार बढ़ते रिकॉर्ड को व्यवस्थित तरीके से रखने की व्यवस्था होगी. जजों और वकीलों के लिए विशाल लाइब्रेरी इस इमारत में है. 680 और 250 लोगों की क्षमता वाले 2 सभागृह हैं. इमारत की भूमिगत पार्किंग में 1800 गाड़ियों को पार्क करने की जगह है. वकीलों के 500 नए चैंबर भी इस परिसर में हैं. मुख्य इमारत से नया परिसर 3 भूमिगत रास्तों के ज़रिए जुड़ा होगा.


ईको फ्रेंडली संरचना


27 सितंबर 2012 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया ने नई इमारत का शिलान्यास किया था. उसी समय ये तय हो गया था कि इमारत को पर्यावरण का ख्याल रखते हुए बनाया जाएगा. 1,80,700 वर्ग मीटर के विशाल बिल्ट अप एरिया वाली इमारत के निर्माण में फेंकी जा चुकी निर्माण और औद्योगिक सामग्री से बनी ईंटो का इस्तेमाल हुआ है. मिट्टी से बनी ईंटों का इस्तेमाल न कर करीब 35 हज़ार मीट्रिक टन मिट्टी बचाई गई है.


पूरे परिसर में सेंसर आधारित LED लाइट लगाई गई है. यानी बिजली तभी जलेगी जब कमरे में रोशनी इतनी कम हो कि कृत्रिम प्रकाश ज़रूरी हो. चौड़ी खिड़कियां इस तरह से बनाई गई हैं दिन में सूरज की पर्याप्त रोशनी आ सके. पूरी इमारत की छत पर सोलर पैनल लगाए गए हैं. इससे करीब 1400 किलो वाट पीक बिजली का उत्पादन होगा. इससे लगभग 40 फीसदी बिजली की ज़रूरत पूरी होगी. नए सुप्रीम कोर्ट परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग (बारिश के पानी को जमा कर ज़मीन के अंदर पहुंचाने) की व्यवस्था की गई है. दो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं. यानी यहां से कोई भी गंदगी सीवर या नाले के रास्ते यमुना में नहीं जाएगी.


भारतीय भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने की हुई शुरुआत


आज इस खास मौके पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले अंग्रेज़ी के अलावा हिंदी समेत दूसरी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की सुविधा की शुरुआत हुई. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर ये सुविधा अब से मिल सकेगी. 2017 कोच्चि में आयोजित जजों के एक सम्मेलन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आम लोगों के लाभ के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में फैसले मुहैया करने का सुझाव दिया था. इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के निर्देश पर कोर्ट का सॉफ्टवेयर सेक्शन ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया. आज राष्ट्रपति कोविंद ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सुप्रीम कोर्ट के जजों, तीनों सेनाओं के अध्यक्षों और कानूनविदों की मौजूदगी में इस सुविधा का उद्घाटन किया.