नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आनंद विहार में प्रवासी मजदूरों के एकत्र होने और निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात के लोगों के शामिल होने पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इन दो घटनाओं ने कोरोना वायरस के खिलाफ़ हमारे प्रयासों को धक्का पहुंचाया है.


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों, उपराज्यपालों और प्रशासकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की. राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कोई भूखा नहीं रहे और वायरस को फैलने से रोका भी जाना चाहिए.


बयान के अनुसार, संवाद के दौरान इस बात पर एक राय थी कि इस अदृश्य दुश्मन से लड़ाई में किसी प्रकार की लापरवाही या आत्मसंतुष्टि का कोई स्थान नहीं है. इस संदर्भ में राष्ट्रपति ने देश के कुछ हिस्सों में डाक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस कर्मियों पर हमलों की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है.


राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 से मुकाबला करने में देश के लोगों ने अपूर्व साहस, अनुशासन और एकजुटता का प्रदर्शन किया है. लेकिन आनंद विहार में प्रवासी मजदूरों के एकत्र होने और निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात के लोगों के शामिल होने की दो घटनाओं से धक्का पहुंचा है. उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों को भोजन और अन्य जरूरी सामग्री मिल रही है. ऐसे में सामाजिक दूरी के संकल्प का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए.


वहीं, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ आज मैंने प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों तथा उप राज्यपालों से आग्रह किया कि वे अपने राज्यों में धर्म गुरुओं से संपर्क करें और उन्हें सलाह दें कि वे अपने अनुयायियों को भीड़ भाड़ वाले धार्मिक आयोजन करने से रोकें तथा कोविड 19 संक्रमण को सीमित रखने के लिए सामाजिक व्यवहार में परस्पर दूरी अपनाएं.’’


उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैंने राज्यपालों तथा उप राज्यपालों से कहा कि कृषि उत्पादों की कटाई, भंडारण तथा खरीद के लिए प्रबंध करने पर विशेष ध्यान दें. राजकीय एजेंसियां कृषि उपकरणों के निर्बाध आवागमन और उपलब्धता को सुनिश्चित करें जिससे किसानों को किसी कठिनाई का सामना न करना पड़े.'' उन्होंने कहा कि वह हाल में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हुई अक्षम्य हिंसा की निन्दा करते हैं. नागरिक का कर्तव्य है कि वह उन स्वास्थ्य कर्मियों की रक्षा करे जो व्यक्तिगत खतरा मोल ले कर भी संक्रमित रोगियों की सेवा में लगे हैं.