राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की आज AIIMS में हो सकती है बाईपास सर्जरी, पिछले हफ्ते हुए थे अस्पताल में भर्ती
सीने में दर्द की शिकायत के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सेना के अस्पताल से एम्स में भर्ती कराया गया था और राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि विशेषज्ञों की देखरेख में राष्ट्रपति की हालत बिल्कुल स्थिर है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की आज एम्स में बाइपास सर्जरी हो सकती है. पिछले सप्ताह सीने में दर्द की शिकायत के बाद राष्ट्रपति को नई दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था. हालांकि राष्ट्रपति भवन से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि विशेषज्ञों की देखरेख में राष्ट्रपति की हालत बिल्कुल स्थिर है. 75 साल के रामनाथ कोविंद पिछले शुक्रवार को सेना के अस्पताल में हेल्थ चेक-अप कराने आए थे. सीने में शिकायत के बाद 27 मार्च को उन्हें आर्मी अस्पताल से एम्स में शिफ्ट किया गया था. जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें एक योजनाबद्ध बायपास की प्रक्रिया से गुजरनी होगी. अगर सब कुछ सही रहा तो 30 मार्च को यह प्रक्रिया की जा सकती है.
अस्पताल में सक्रिय हैं राष्ट्रपति राष्ट्रपति अस्पताल जाने के बाद भी काफी सक्रिय हैं. वे दफ्तर से संबंधित सभी काम निपटाते हैं. राष्ट्रपति कोविंद के अस्वस्थ होने के बाद शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा के बीच उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक ट्वीट के मुताबिक मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी के बेटे से बात की. उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में कोरोना वैक्सीन लगवाई थी. राष्ट्रपति ने आर्मी अस्पताल में ही वैक्सीन की पहली डोज ली थी. वो अपनी बेटी के साथ अस्पताल पहुंचे थे.
अस्पताल से दिल्ली वाले बिल को दी थी मंजूरी गौरतलब है कि सेना के अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी राष्ट्रपति अपना कार्य करते रहे. इसी दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार पर लेफ्टिनेंट गवर्नर वाले बिल को अपनी स्वीकृति भी दी. केंद्र सरकार ने घोषणा की कि नेशनल कैपिटल टेरेटरी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसे गजट में प्रकाशित कर दिया गया है. इस बिल के मुताबिक दिल्ली सरकार का अर्थ होगा दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर . इस बिल के मुताबिक दिल्ली सरकार को किसी भी तरह के शासनात्मक काम के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर की राय लेनी जरूरी होगी. यह बिल 22 मार्च को लोकसभा में और 24 मार्च को राज्यसभा में पास हुआ था.
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