मुंबई: मुंबई में आखिरकार राष्ट्रपति शासन लगेगा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मोदी कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी. गृहमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने देखा कि चुनाव को बीते हुए 15 दिन हो चुके हैं और कोई भी राजनीतिक दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में राष्ट्रपति शासन ही बेहतर विकल्प है.


बता दें कि बहुमत के आंकड़े के आभाव में किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था. हालांकि राज्यपाल ने बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया. गौरतलब है कि राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उसने 105 सीटों पर जीत दर्ज की लेकिन उसने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया. सबसे पहले 9 नवंबर को राज्यपाल ने बीजेपी को सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का न्यौता दिया. इसके जवाब में बीजेपी ने कहा कि उसके पास संख्या मौजूद नहीं है.


इसके बाद 10 नवंबर को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्यौता दिया. इसके लिए शिवसेना ने 48 घंटे का समय मांगा, जिससे राज्यपाल ने इनकार कर दिया. इसके बाद शिवसेना ने राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के समय न देने के फैसले के खिलाफ मंगलवार को एक याचिका दायर की.


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11 नवंबर को एनसीपी को भी राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्यौता दिया. इस पर एनसीपी को आज शाम साढ़े आठ बजे तक का समय दिया. सूत्रों का कहना है कि एनसीपी ने राज्यपाल को मंगलवार को सूचना दी कि उसके पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है.


उधर राज्य में सरकार कैसे बने इसको लेकर आज एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेताओं के बीच बैठक हो रही है. एनसपी राज्य की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. एनसीपी के पास 54 विधायक है. इसके अलावा कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं. शिवसेना के पास 56 विधायक है. तीनों का मिलाकर ये आंकड़ा 154 होता है. राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन जरूरी है.


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