राष्ट्रपति और सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर रामनाथ कोविंद ने सोमवार को देश की समुद्री ताकत की समीक्षा की. मौका था विशाखापट्टनम के करीब बंगाल की खाड़ी में 12वें 'प्रेसिडेंट फ्लीट रिव्यू' यानि नौसेना के जंगी बेड़े के समीक्षा का. इस दौरान समंदर में भारत की स्वदेशी ताकत और क्षमताओं को खासतौर से प्रदर्शित किया गया. फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लेने वाले 60 युद्धपोत और पनडुब्बियों में 47 ऐसे थे जिनका निर्माण भारत में ही हुआ है. 


देश की समुद्री ताकत और क्षमताओं की समीक्षा के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एक विशेष 'प्रेसिडेंशियल-यॉट' पर सवार हुए. नौसेना के आईएनएस सुमित्रा जहाज को प्रेसिडेंशियल-यॉट में तब्दील किया गया था. इस यॉट पर राष्ट्रपति के अलावा रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह, रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे.


फ्लीट रिव्यू के लिए नौसेना, कोस्टगार्ड, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और अर्थ साइंसेज़ मंत्रालय के सभी युद्धपोत और जहाज को विशाखापट्टनम शहर के करीब समंदर में चार कॉलम में लाइन-अप किया गया था. राष्ट्रपति की प्रेसिडेंशियल-यॉट एक-एक कर सभी जहाज और युद्धपोत के सामने से गुजरी. इस दौरान युद्धपोत में सवार सभी क्रू ने राष्ट्रपति को सलामी दी और उनकी जय-जयकार की. इस सलामी और जय-जयकार से सभी युद्धपोत ने राष्ट्रपति को बताया कि वे सभी सदैव इस देश की सेवा और सुरक्षा के लिए हैं.  


नौसैनिकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने स्वदेशी युद्धपोतों के लिए नौसेना को बधाई दी और कहा कि ये बेहद ही गर्व की बात है कि देश में ही परमाणु पनडुब्बी और एयरक्राफ्ट कैरियर (विक्रांत) का निर्माण हो रहा है. राष्ट्रपति कोविंद ने विशाखापट्टनम स्थित नौसेना की पूर्वी कमान को फ्लीट रिव्यू आयोजित करने के लिए बधाई दी. उन्होंने 1971 के युद्ध में बंगाल की खाड़ी में पाकिस्तानी नौसेना की सप्लाई लाइन रोकने और पाकिस्तान की पनडुब्बी, पीएनएस गाज़ी को डुबाने की घटना को भी याद किया. पीएनएस गाज़ी का मलबा अभी भी विशाखापट्टनम के करीब समंदर में पड़ा हुआ है. सोमवार को फ्लीट रिव्यू उसके करीब ही आयोजित किया गया. 




फ्लीट रिव्यू के दौरान भारतीय नौसेना की एयर-पावर को भी दर्शाया गया. इस दौरान चेतक, एएलएच, सिकिंग और कमोव हेलीकॉप्टर सहित डोरनियर, आईएल-38, पी8आई, हॉक और मिग-29के सहित कुल 55 एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया. समुद्री बेड़े की समीक्षा के दौरान मरीन कमांडो (मारकोस) ने वॉटर पैरा-जंप का आयोजन भी किया. 


बता दें कि भारत में पहला फ्लीट रिव्यू 1953 में आयोजित किया गया था. तब से लेकर अब तक देश के हरेक राष्ट्रपति के कार्यकाल में कम से कम एक बार फ्लीट रिव्यू जरुर आयोजित किया जाता है. यही वजह है कि समंदर में अपनी ताकत और तैयारियों को दिखाने के लिए भारतीय नौसेना ने विशाखापट्टनम में 'प्रेसिडेंट फ्लीट रिव्यू' के 12वें संस्करण का आयोजन किया. भारतीय नौसेना के मुताबिक, लंबे समय से नेवल फ्लीट रिव्यू दुनियाभर की नौसेनाओं की परंपरा का हिस्सा रही है. ये समीक्षा नौसेना की ताकत और युद्ध की तैयारियों के लिए शुरू की गई थी. लेकिन मौजूदा समय में ये बिना किसी उकसावे या फिर युद्धक मानसिकता के बगैर अपने जंगी बेड़े को एक जगह इकठ्ठा करना है. 




भारत में पहला फ्लीट रिव्यू 18वीं सदी में दर्ज है जब मराठा नौसेना के सरखेल (ग्रैंड एडमिरल) कान्होजी आंग्रे ने अपने जंगी बेड़े को पश्चिमी तट पर स्थित रत्नागिरी किले पर इकठ्ठा किया था. नौसेना के मुताबिक, प्रेसिडेंट फ्लीट रिव्यू का मकसद भारतीय नौसेना की तैयारियों, उच्च अनुशासन और मनोबल को दर्शाना है. आजादी के बाद से अबतक भारतीय नौसेना 12 फ्लीट रिव्यू आयोजित कर चुकी है। 2016 में विशाखापट्टनम में ही भारतीय नौसेना ने इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू (आईएफआर) का आयोजन किया था जिसमें करीब 50 देशों के 100 युद्धपोतों ने हिस्सा लिया था. आईएफआर के बाद एक बार फिर विशाखापट्टनम में प्रेसिडेंट फ्लीट रिव्यू का आयोजन होने जा रहा है‌.


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