Droupadi Murmu: बीजेपी ने मंगलवार यानी 21 जून को झारखंड (Jharkhand) की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना है. उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है. ऐसे में द्रौपदी मुर्मू की बेटी इतिश्री मुर्मू कहती हैं, “आदिवासी लोग पुलिस थाने या कोर्ट जाने से डरते हैं. जब वे किसी आदिवासी व्यक्ति को शीर्ष पद पर देखते हैं, तो उन्हें कुछ विश्वास होता है कि वह भी कुछ कर सकते हैं. ”


एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी (Tribal) चेहरा है जो पहली बार राष्ट्रपति पद के रेस में शामिल हुईं है. अगर 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू ये चुनाव जीत जाती हैं तो भारत के इतिहास में पहली बार होगा कि कोई आदिवासी राष्ट्रपति बनेगा और उनका राष्ट्रपति बनना ओडिशा के मयूरभंज जिले के सभी आदिवासियों के लिए आशा और गर्व की बात होगी. 


 






वहीं कल अपने दिल्ली के अपने सफर पर निकलने से पहले मुर्मू को ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी बहुल अपने कस्बे में स्थित शिवमंदिर में सुबह सूर्योदय से पहले झाडू लगाते देखा गया था.  मुर्मू हर वहां झाड़ू लगातीं हैं. मुर्मू अगस्त 2021 में झारखंड के राज्यपाल पद से रिटायर होने के बाद यहां लौटी थीं और तब से मंदिर के परिसर को रोज साफ कर रही हैं. 


द्रौपदी मुर्मू के जीवन के बारे में बात करें तो ओडिशा में सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक से लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार नामित होने तक का सफर आदिवासी नेता मुर्मू के लिए बेहद लंबा और मुश्किल रहा है. राजग उम्मीदवार मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था. बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वालीं मुर्मू ने गरीबी और अन्य समस्याओं से जुझते हुए भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया और ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था.


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