Presidential Election 2022: विपक्षी दलों की बैठक से बीजेपी को मिली बड़ी राहत, जानिए क्या है वजह
राजधानी दिल्ली में बुधवार को बुलाई गई बैठक में बीजेडी, टीआरएस और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे प्रमुख क्षेत्रीय दलों की अनुपस्थिति से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राहत की सांस ली है.
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Presidential Election 2022: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) द्वारा संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए राजधानी दिल्ली में बुधवार को बुलाई गई बैठक में बीजू जनता दल (BJD), तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे प्रमुख क्षेत्रीय दलों की अनुपस्थिति से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राहत की सांस ली. बीजेपी नेताओं का मानना है कि इन दलों की अनुपस्थिति ने विपक्षी खेमे की खामियों और दूसरों पर हावी होने की उनकी आदत को रेखांकित किया है.
ओड़िशा के सीएम नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजद ने पूर्व में कई मुद्दों पर विपक्षी खेमे से दूरी बनाते हुए बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ दिया है. विपक्षी दलों की बैठक से आप और टीआरएस की गैर मौजूदगी अहम है क्योंकि दोनों ही दल बीजेपी के प्रखर आलोचक रहे हैं और पूर्व में कई अवसरों पर उन्होंने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की वकालत की है.
राजग के पास हैं कितनी सीटें ?
राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में सत्तारूढ़ राजग के पास लगभग 48 प्रतिशत वोट हैं. बीजेपी को बीजद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) और युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे दलों का समर्थन मिलने की उम्मीद है. ऐसा होता है तो उसके उम्मीदवार की राष्ट्रपति चुनाव में जीत सुनिश्चित हो सकती है. वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश में सत्ता में है और संसद में उसके सदस्यों की संख्या भी अच्छी खासी है.
बीजद की तरह वाईएसआर कांग्रेस ने भी विपक्षी खेमे की बैठक से दूरी बनाई है और संसद व उसके बाहर कई मुद्दों पर उसने केंद्र सरकार का समर्थन किया है. विपक्षी दलों की बैठक का परिहास उड़ाते हुए बीजेपी प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कई विपक्षी नेता एक दूसरे पर हावी होने के प्रयासों के तहत कई प्रकार की गतिविधियां करते रहते हैं. उन्होंने कहा कि यह बैठक विपक्ष के अंदर कौन अपना कद बड़ा स्थापित करके दिखा दे, किसी भी मौके का उपयोग करके... यह उसकी अभिव्यक्ति ज्यादा नजर आती है.
आम आदमी पार्टी और टीआरएस पर है बीजेपी की नजर
बीजेपी की नजर आप और टीआरएस के रुख पर भी है क्योंकि दोनों ही दलों की अपनी-अपनी राष्ट्रीय राजनीतिक महत्वकांक्षाएं पिछले कुछ दिनों में सामने आई हैं. बीजेपी को लगता है कि इसके मद्देनजर वे किसी का समर्थन करने की बजाय मतदान से दूरी बनाना पसंद करेंगे. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी विरोधी माहौल का फायदा उठाने में लगे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप कांग्रेस और अन्य विपक्षी खेमे के साथ खड़ी होनी नहीं चाहेगी जबकि टीआरएस भी कांग्रेस की मुखालफत करती रही है.
विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा-एमएल, नेशनल कांफ्रेंस(नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जद(सेक्युलर), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), आईयूएएमएल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शरीक हुए.
शरद पवार ने ठुकराई राष्ट्रपति उम्मीदवार की पेशकश
इस बैठक में बुधवार को कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार को संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने एक बार फिर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. इस बीच, आगामी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए बीजेपी ने भी विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी. इसके तहत रक्षा मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने आज कांग्रेस नेता व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खड़गे, बनर्जी और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव से बात की.
बीजेपी ने गत रविवार को राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए अधिकृत किया था. राजनाथ सिंह ने खड़गे, बनर्जी और यादव सहित कुछ अन्य दलों के नेताओं से भी फोन पर बात की. सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री ने जनता दल (यूनाईटेड) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही बीजू जनता दल (बीजद) सुप्रीमो व ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में फोन पर चर्चा की.
फारूक अब्दुल्ला के नाम की हुई पेशकश
सूत्रों के मुताबिक पवार द्वारा प्रस्ताव को ठुकराए जाने के बाद विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नाम भी सामने आएं. गांधी 2017 के उपराष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्ष की ओर से उम्मीदवार थे लेकिन उन्हें बीजेपी के वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडू के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद वह बीजद और जनता दल (यूनाईटेड) का समर्थन हासिल करने में सफल रहे थे. हालांकि इन दोनों दलों ने राष्ट्रपति चुनाव में राजग के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था.
नीतीश कुमार की जदयू ने जब पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में गांधी को समर्थन करने की घोषणा की थी तब वह विपक्षी खेमे में थे. बाद में राजग में लौटने के बाद भी वह गांधी को समर्थन के फैसले पर अड़िग रहे. चुनाव के लिए मतदाताओं की कुल संख्या 4,809 है, जिसमें 776 सांसद और 4,033 विधायक होंगे. राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान संसद और राज्य विधानसभाओं के परिसर में होगा, जबकि राज्यसभा के महासचिव रिटर्निंग ऑफिसर होंगे. आम तौर पर, सांसद संसद में और विधायक अपने-अपने राज्य की विधानसभा में मतदान करते हैं.
कौन चुनता है देश का राष्ट्रपति ?
राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और दिल्ली तथा केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं. राज्यसभा (Rajyasabha) और लोकसभा (Loksabha) या राज्यों की विधान सभाओं (State Assembly) के मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं, इसलिए, वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते. इसी तरह, विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाता नहीं होते हैं.
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