India Rashtrapati Bhavan: राष्ट्पति की सुरक्षा में लगे बॉडी गार्ड्स (President Body Guard) को बहुत से लोगों ने राष्ट्रपति भवन के किसी विशेष कार्यक्रम या फिर गणतंत्र दिवस परेड समारोह (Republic Day Parade Ceremony) के दौरान जरूर देखा होगा. राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात ये उनके बॉडी गार्ड्स (Body Guards) हमेशा से ही लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करते रहे हैं.


उनकी यूनिफॉर्म से लेकर राष्ट्रपति सुरक्षा के दौरान उनकी मुस्तैदी हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींचने पर मजबूर कर देता है. राष्ट्रपति के अंगरक्षकों का इतिहास भी कम रोचक नहीं है. बता दें कि हर कोई राष्ट्रपति का बॉडी गार्ड्स नहीं बन सकता. आइए आपको बताते हैं राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात उनके बॉडी गार्ड्स से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों के बारे में.


राष्ट्रपति की सुरक्षा क्यों है इतनी अहम?


भारत का राष्ट्रपति (President of India) देश का प्रथम नागरिक होने के साथ-साथ तीनों सेनाओं का कमांडर इन चीफ भी होता है. राष्ट्रपति के पास तीनों सेनाओं की कमान होती है. ऐसे में उनकी सुरक्षा बहुत ही अहम हो जाती है. इसलिए राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रेसिडेंट बॉडी गार्ड्स (PBG) को सौंपी जाती है. 


ये है प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड की खासियत


राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड या प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड यानी PBG भारतीय सेना की एक घुड़सवार फौज रेजिमेंट है. यह भारतीय सेना की सबसे पुरानी घुड़सवार यूनिट है. PBG की सबसे अहम जिम्मेदारी राष्ट्रपति की सुरक्षा करना है. प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड बेहतरीन घुड़सवार होने के साथ-साथ काबिल टैंक मैन और पैराट्रूपर्स भी होते हैं.  


कौन बन सकता है प्रेसिडेंट बॉडी गार्ड्स


मौजूदा समय में राष्ट्रपति बॉडी गार्ड्स के लिए सिर्फ राजपूत, जाट और सिख ही इस यूनिट का हिस्सा बन सकते हैं. लेकिन शुरुआत में 1773 में जब इस यूनिट का गठन किया गया. उस समय इसमें मुसलमानों को भर्ती किया गया. फिर इस यूनिट में मुसलमानों के साथ हिंदुओ (ब्राह्मण, राजपूत) को भी भर्ती किया जाने लगा. 1895  के बाद इसमें ब्राह्मणों की भर्ती बंद कर दी गई. इसके बाद इस यूनिट में 50 फीसदी सिखों और 50 % मुस्लिमों का अनुपात कर दिया गया. आजादी के बाद राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए विशेष यूनिट PGB यानी प्रेसिडेंट्स बॉडी गार्ड्स को बनाया गया. 


250 साल पहले ऐसे हुई शुरुआत


राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड्स का इतिहास लगभग 250 साल पुराना है. जिसका गठन 1773 में अंग्रेस गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंगन ने अपनी सुरक्षा के लिए 50 घुड़सवार सैनिको के साथ बनारस में किया था. उस समय बनारस के राजा चैत सिंह ने इस यूनिट के लिए 50 घुड़सवार सैनिक दिए थे. इस यूनिट में घुड़सवार सैनिकों की कुल संख्या 100 थी.