Presidential Election 2022: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का एलान किया है. जिसके बाद महाविकास अघाड़ी (MVA) में दरार पड़ती दिख रही है. शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख की ओर से लिए गए इस निर्णय पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) और कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. पूर्व मंत्री बालासाहेब थोराट (Balasaheb Thorat) ने फैसले पर हैरानी जताई है. उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख ने ये फैसला लेते वक्त कोई विचार विमर्श नहीं किया.
उद्धव ठाकरे के द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के इस एलान से महाविकास अघाड़ी में खलबली मच गई है. MVA के बाकी दोनों साथी यानी कांग्रेस और NCP विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) का समर्थन कर रही है.
शिवसेना के फैसले पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना को एनडीए उम्मीदवार के साथ आना ही पड़ा है. अब इसे सांसदों का दबाव या पार्टी टूटने का डर कह सकते हैं. शिवसेना प्रमुख के निर्णय पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है. महाराष्ट्र कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने ट्वीट कर कहा, ''संविधान और लोकतंत्र का समर्थन करने वाला हर कोई राष्ट्रपति पद के लिए यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहा है. हमें नहीं पता कि शिवसेना द्रौपदी मुर्मू का समर्थन क्यों कर रही है. शिवसेना MVA का हिस्सा है, लेकिन उसने हमसे इस पर कोई विचार-विमर्श नहीं किया है."
एनसीपी का क्या है रुख?
उद्धव ठाकरे का NDA के साथ जाने का फैसला महाविकास अघाड़ी पर भारी पड़ सकता है. हालांकि राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के फैसले को एनसीपी ने शिवसेना का निजी फैसला बताया है. एनसीपी नेता जयंत पाटिल का कहना है कि महाविकास अघाड़ी से दूर जाने की कोई बात नहीं दिखती. पहले भी शिवसेना का राष्ट्रपति के चुनाव में उनका अपना निर्णय होता रहा है. शिवसेना जिसको समर्थन करती है वही राष्ट्रपति बनता है. लेकिन ये उनकी पार्टी का निर्णय है, इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है.
संजय राउत ने क्या कहा?
एनसीपी (NCP) का कहना है कि शिवसेना NDA के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन दे रही है इसका मतलब यह नहीं होता कि वह एनडीए का समर्थन कर रही है. उधर, शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने भी साफ कर दिया है द्रौपदी मूर्मु (Droupadi Murmu) के समर्थन का मतलब बीजेपी (BJP) का समर्थन नहीं है.
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