एक्सप्लोरर
Advertisement
(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
राष्ट्रपति चुनाव: कोविंद के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं
एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. आज रामनाथ कोविंद की जीत तय मानी जा रही है. रामनाथ कोविंद पिछले तीस साल से राजनीति में हैं. दलितों के कोली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कोविंद का जन्म कानपुर देहात के एक छोटे से गांव परौख में हुआ.
नई दिल्ली: एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. आज रामनाथ कोविंद की जीत तय मानी जा रही है. रामनाथ कोविंद पिछले तीस साल से राजनीति में हैं. दलितों के कोली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कोविंद का जन्म कानपुर देहात के एक छोटे से गांव परौख में हुआ.
अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की लड़ाई लड़ने वाले कोविंद इस वक्त बिहार के राज्यपाल हैं. उन्हें आठ अगस्त 2015 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था.
अगर चुने जाते हैं तो यूपी से आने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे कोविंद
बीजेपी दलित मोर्चा और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग के रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते थे. कोविंद अगर राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो वह उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे.
संघ के बड़े नेताओं के करीब रहे हैं रामनाथ
कानपुर शहर से 80 किलोमीटर दूर कानपुर देहात के रनौख-परौख जुड़वां गांव हैं. यहीं परौख में जन्मे रामनाथ अब देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठने वाले हैं. रामनाथ के करीबी मानते हैं कि रामभक्त होने के नाते संघ के बड़े नेताओं के दिल के वो हमेशा करीब रहे हैं और राष्ट्रपति पद पर चयन के लिहाज से ये खूबी भी उनके पक्ष में गईं.
रामनाथ का राजनीतिक सफर
रामनाथ ने 1990 में बीजेपी में शामिल होकर लोकसभा चुनाव लड़ा. चुनाव तो हार गए लेकिन 1993 और 1999 में पार्टी ने इन्हें राज्यसभा भेज दिया गया. इस दौरान रामनाथ बीजेपी अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने. साल 2007 में रामनाथ बोगनीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन फिर जीत नहीं सके. इसके बाद उन्हें यूपी बीजेपी संगठन में सक्रिय करके प्रदेश का महामंत्री बनाया गया और पिछले साल अगस्त में बिहार का राज्यपाल बनाया गया.
कोविंद राज्यसभा सदस्य के रूप में अनेक संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे. खासकर अनुसचित जातिाजनजाति कल्याण सम्बन्धी समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और कानून एवं न्याय सम्बन्धी संसदीय समितियों में वह सदस्य रहे.
दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में की वकालत
एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद रामनाथ ने आईएएस की तैयारी की थी. सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास भी की लेकिन आईएएस कैडर न मिलने की वजह से उन्होंने वकालत करने का फैसला किया. रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की. 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे. जबकि 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की.
एक वकील के रूप में कोविंद ने हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद की. खासकर अनुसूचित जातिाअनुसूचित जनजाति के लोगों, महिलाओं, जरूरतमंदों और गरीबों की वह फ्री लीगल एड सोसाइटी के बैनर तले मदद करते थे.
अक्तूबर 2002 में कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया था
कोविंद लखनऊ स्थित भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रबन्धन बोर्ड के सदस्य और भारतीय प्रबन्धन संस्थान कोलकाता के बोर्ड आफ गवर्नर्स के सदस्य भी रह चुके हैं. कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है और अक्तूबर 2002 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया था.
सरल और सौम्य स्वभाव के कोविंद का कानपुर से है गहरा रिश्ता है. भले ही वह इस समय वह बिहार के राज्यपाल हों लेकिन कानपुर से लगातार उनका जुड़ाव रहा है. यही कारण है कि वह समय समय पर उत्तर प्रदेश का दौरा करते रहे हैं.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
महाराष्ट्र
चुनाव 2024
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र
Advertisement
प्रफुल्ल सारडा,राजनीतिक विश्लेषक
Opinion