आंकड़े बता रहे हैं कि एनडीए ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाने के लिए जरूरी वोट जुटा लिए हैं. जेडीयू और बीजेडी के बाद टीआरएस ने भी एनडीए को समर्थन का देने का एलान कर दिया है, हालांकि विपक्ष अभी बीजेपी को खुला रास्ता देने के पक्ष में नहीं है.
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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रामनाथ कोविंद के नाम का एलान करते हुए कहा, ‘’आशा करते हैं कि दलित समाज से संघर्ष करके गरीब के घर में जन्म लेकर सार्वजनिक जीवन में इतने ऊंचे मुकाम पर पहुंचने वाले रामनाथ जी सर्वसहमत प्रत्याशी होंगे. इसकी हम सबलोग आशा करते हैं.’’
JDU का समर्थन का एलान
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रामनाथ कोविंद के नाम का एलान करते वक्त दिए गए इस बयान में राष्ट्रपति चुनाव का सारा जोड़तोड़ नजर आता है. दलित समुदाय के कोविंद को बनाने के पीछे मोदी की भविष्य की राजनीति है. कोविंद का चयन कर विपक्षी एकता को चुनौती दी गई है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कोविंद को उम्मीदवार बनाए जाने पर खुशी को जताई है लेकिन अभी एनडीए को समर्थन देने का एलान नहीं किया है. उन्होंने कहा है कि अभी इसपर चर्चा की जाएगी. बिहार में नीतीश के पास 20 हजार 935 वोट हैं.
वहीं दलित उम्मीदवार के नाम के एलान के बाद उत्तर प्रदेश में सीएम योगी और मायावती की पार्टी बीएसपी एक स्वर में बात कर रहे हैं.
दलित होने के नाते बसपा कोविंद को समर्थन देगी- मायावती
सीएम योगी ने कहा है कि एक दलित को उम्मीदवार बनाना हमारे लिए गौरव की बात है. वहीं, मायावती ने कहा है, ‘’अगर विपक्ष की तरफ से कोई और दलित चेहरा नहीं आया तो दलित होने के नाते बसपा कोविंद को समर्थन देगी.’’
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जो मजबूरी मायावती को दिख रही है कुछ वैसी ही मजबूरी अखिलेश को भी होगी क्योंकि रामनाथ उत्तर प्रदेश से आते हैं. अखिलेश के पास 26 हजार 60 वोट हैं. तो वहीं- मायावती के पास 8 हजार 200 वोट हैं. रामनाथ कोविंद का नाम वोटों की दौड़ से आगे निकल चुका है.
वोटों का गणित क्या हैं?
एनडीए के पास अभी 5 लाख 32 हजार वोट हैं. कोविंद को राष्ट्रपति बनाने के लिए एनडीए को 17 हजार 422 वोट और चाहिए. समर्थन का एलान कर चुकी वाईएसआर कांग्रेस के पास 17 हजार 666 वोट और टीआरएस के पास भी 22 हजार 48 वोट हैं. इसके अलावा उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक ने भी कोविंद को समर्थन दे दिया है. पटनायक के पास 37 हजार 257 वोट हैं.
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5 लाख 67 हजार से ज्यादा पहुंचेगा वोटों का आंकड़ा!
टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी के वोट को जोड़ दें तो एनडीए उम्मीदवार के पास वोट का आंकड़ा 5 लाख 67 हजार से ज्यादा हो जाता है जो कि जीत के लिए काफी है. ऐसे में रामनाथ कोविंद की जीत पक्की लग रहा है लेकिन शिवसेना ने अभी तक फैसला ना लिए जाने की बात कह कर सस्पेंस बनाए रखा है.
उद्धव का कहना है, ‘’सिर्फ दलित वोटों के लिये दलित उम्मीदवार राष्ट्रपति पद के लिये दिया होगा तो हमारा समर्थन नहीं होगा, हां अगर जनता की भलाई करने वाला होगा तो हम समर्थन करेंगें. कल हम फैसला लेगें.’’
22 जून को विपक्षी दलों की बैठक
वोटों के मामले में विपक्ष बेशक पिछड़ जाए लेकिन राजनीति में टक्कर देने के लिए विपक्ष साझा उम्मीदवार पर विचार कर रहे हैं. विपक्षी दलों की बैठक 22 जून को होने वाली है. विपक्ष की तरफ से दलित नेता मीरा कुमार का नाम उछल रहा है.
रामनाथ कोविंद का नाम आने के बाद वोटों का आंकड़ा यही तक सीमित नहीं रहने वाला. नरेंद्र मोदी ने जिस प्लानिंग के साथ इनका नाम आगे किया है उसमें बिहार और यूपी की क्षेत्रीय पार्टियों को यूपीए के साथ खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया है.