नई दिल्ली: कोरोना महामारी से निपटने के लिए भारत में दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी डीसीजीआई से मिल गई है. अब सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को इमरसेंजी की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह देश के लिए बड़ी राहत की बात है, क्योंकि दुनिया में अमेरिका के बाद संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले भारत में हैं. केंद्र सरकार ने अगले 6 से 8 महीनों में टीकाकरण अभियान के पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने की योजना बनाई है.


वैक्सीन की मंजूरी पर DCGI का पूरा आधिकारिक बयान यहां पढ़िए-


"सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने एक और दो जनवरी को हमसे मुलाकात की. उन्होंने हमसे सीरम इंस्टीट्यूट की 'कोविशील्ड', भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' को इंजरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देने और मैसर्स केडिला हेल्थकेयर को भारत में तीसरे चरण के ​क्लीनिकल ट्रायल करने की अनुमति देने की सिफारिश की थी. सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी में पल्मोनोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, इंटरनल मेडिसिन आदि के क्षेत्र के डोमेन नोलेज एक्सपर्ट होते हैं."


"सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे ने 18 या उससे ज्यादा उम्र के 23,745 प्रतिभागियों पर अध्ययन का सुरक्षित और असरदार डेटा प्रस्तुत किया है. ये वैक्सीन 70.42 फीसदी असरदार पाई गई है. इसके अलावा, सीरम इंस्टीट्यूट को देश में 1600 प्रतिभागियों पर दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल करने की अनुमति दी गई थी. फर्म ने इस ट्रायल का भी डेटा प्रस्तुत किया. विस्तृत विचार-विमर्श के बाद सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इमरजेंसी में इस्तेमाल करने के लिए अनुमति देने की सिफारिश की. फर्म द्वारा देश के भीतर चल रहे ट्रायल जारी रहेंगे."


"भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और एनआईवी (पुणे) के सहयोग से वायरस को निष्क्रिय करने वाली कोरोना वायरस वैक्सीन (कोवैक्सीन) विकसित की है. यह टीका वेरो सेल प्लेटफॉर्म पर विकसित किया गया है, जिसने देश और दुनियाभर में सुरक्षा और प्रभावकारिता का रिकॉर्ड बनाया है."


"फर्म ने कई जानवरों की प्रजातियों जैसे चूहों, खरगोशों, सीरियाई हम्सटर पर अध्यन का सुरक्षित डेटा दिया है. उन्होंने गैर-मानव प्राइमेट्स (रीसस मैकास) और हैम्स्टर्स पर भी चुनौतीपूर्ण अध्ययन किया है. इन सभी डेटा को फर्म ने सीडीएससीओ के साथ शेयर किया है. पहले और दूसरे चरण का ट्रायल करीब 800 सब्जेक्ट पर आयोजित किया गया था. इसके परिणामों से पता चला है कि वैक्सीन सुरक्षित है. तीसरे चरण का ट्रायल 25,800 वॉलंटियर्स के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था. इनमें से अब तक 22,500 स्वयंसेवकों को देशभर में टीका लगाया गया है. अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार टीका सुरक्षित है."


"सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने वैक्सीन की सुरक्षा और प्रतिरक्षा पर डेटा की समीक्षा की है. कमेटी ने क्लीनिकल ट्रायल मोड में सावधानी के साथ लोगों के हित के लिए इमरजेंसी हालात में वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति देने की सिफारिश की है. खास तौर से कोरोना के नए संक्रमण म्यूटेंट स्ट्रेन के केस में. फर्म द्वारा देश में चल रहा ट्रायल जारी रहेगा."


"मैसर्स केडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने डीएनए प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके एक नोवेल कोरोना वायरस-2019-एन-कोव-वैक्सीन विकसित की है. फर्म भारत में एक हजार से ज्यादा प्रतिभागियों पर पहले और दूसरे चरण का ट्रायल कर रही है. अंतरिम आंकड़ों से पता चलता है कि टीका तीन खुराक के साथ सुरक्षित और असरदार है. फर्म ने 26000 भारतीय प्रतिभागियों पर तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति मांगी है, सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इसकी सिफारिश की है."


"सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के टीके की दो-दो खुराक दी जानी है. इन तीनों टीकों को 2 से -8 डिग्री सेल्सीयस पर कथा जाना है. समीक्षा के बाद सीडीएससीओ ने सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार करने का निर्णय लिया है. सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन को इमरजेंसी स्थिति में इस्तेमाल के लिए अनुमति दी जा रही है. साथ ही कैडिला हेल्थकेयर को तीसरे चरण का ट्रायल शुरू करने की अनुमति दी जा रही है."


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