(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हाजी अली दरगाह के पास किनारा मस्जिद के हिस्से को ढहाने पर लगी न्यायिक रोक
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि मुम्बई में हाजी अली दरगाह जाने वाली सड़क पर बने किनारा मस्जिद के कुछ हिस्सों को एक सप्ताह तक नहीं ढहाया जाएगा जब तक महाराष्ट्र सरकार उसे नियमित करने की अर्जी पर निर्णय नहीं कर लेती.
नई दिल्ली: हाजी अली दरगाह के पास किनारा मस्जिद के हिस्से को ढहाने पर न्यायालय ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि मुम्बई में हाजी अली दरगाह जाने वाली सड़क पर बने किनारा मस्जिद के कुछ हिस्सों को एक सप्ताह तक नहीं ढहाया जाएगा जब तक महाराष्ट्र सरकार उसे नियमित करने की अर्जी पर निर्णय नहीं कर लेती.
अदालत पिछली तीन जुलाई को राज्य सरकार की इसी तरह की एक अर्जी खारिज कर चुकी है. न्यायालय ने अतिक्रमणों पर दिए अपने पहले के आदेश में बदलाव किया और आदेश दिया कि मस्जिद के एक हिस्से को ढहाने से छूट होगी.
प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की एक पीठ ने कहा, ‘‘पक्षों के वकीलों ने इस अदालत के समक्ष स्वीकार किया है (नियमित करने की अर्जी पर) राज्य सरकार की ओर से पारित आदेश का तब भी विरोध नहीं किया जाएगा, यदि उसमें मस्जिद के कुछ हिस्सों को ढहाने की भी बात हो.’’
पीठ शुरू में हाजी अली दरगाह ट्रस्ट (एचएडीटी) की इस अर्जी पर सुनवायी करने को लेकर अनिच्छुक थी कि मस्जिद के हिस्से को ध्वस्तीकरण से बचाया जाए और कहा था कि उसने दरगाह के पास 908 वर्ग मीटर स्थान से अतिक्रमणों को हटाने पर बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है.
एचएडीटी के लिए पेश होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि फिलहाल के लिए ढहाने पर रोक लगायी जाए और सुनवायी की अगली तिथि पर वह यह साबित करेंगे कि मस्जिद का यह हिस्सा अतिक्रमित जमीन पर नहीं है.
अदालत ने 22 मार्च को एसडीएम, अतिक्रमण की ओर से जारी नोटिस को संज्ञान में लिया था जिसमें यह कहा गया था कि अतिक्रमण के तहत क्षेत्र 908 वर्ग मीटर है.
पीठ ने कहा कि दरगाह ट्रस्ट के लिए ऐतिहासिक स्थल के पास से अतिक्रमणों को हटाने का यह ‘जीवन में एक बार मिलने वाला मौका है’ क्योंकि वे ‘आंख का कांटा’ हैं. पीठ ने सुझाव दिया कि उन्हें मस्जिद का स्थान परिवर्तित करने पर तैयार होना चाहिए.
पीठ ने तब मस्जिद के कुछ अवैध हिस्से के प्रस्तावित ध्वस्तीकरण पर इस शर्त पर रोक लगायी कि नियमित करने की अर्जी यदि राज्य सरकार की ओर से खारिज की गई तो कोई भी ध्वस्तीकरण का विरोध नहीं करेगा.