तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के इरादे से मोदी सरकार ने 'खरीफ़ रणनीति 2021' का ऐलान किया है. इस रणनीति का लक्ष्य तिलहन के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत के उतार-चढ़ाव का असर भारत में खाद्य तेलों पर न पड़े.


खरीफ रणनीति का सबसे अहम पहलू है, सरकार द्वारा किसानों के बीच तिलहन के उन्नत किस्म के बीजों का मुफ्त में वितरण. सरकार ने फैसला किया है कि जून-जुलाई से शुरू होने वाले खरीफ सीजन के लिए किसानों के बीच सोयाबीन और मूंगफली के मिनी किट (Mini Kit ) बांटे जाएंगे. किसानों के बीच जहां 8 लाख सोयाबीन किट बांटे जाएंगे वहीं 74 हज़ार मूंगफली के किट भी बांटे जाएंगे.


दोनों किट देश के उन इलाकों में बांटे जाएंगे जहां इन दोनों फसलों के उत्पादन बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं. जिन इलाकों में सोयाबीन के उन्नत बीज मिनी किट के माध्यम से बांटे जाएंगे उनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और बिहार के करीब 210 जिले शामिल हैं. इसी तरह मूंगफली के 74 हजार किट गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु के किसानों के बीच बांटे जाएंगे.


बढ़ेगा तिलहन का उत्पादन


अगर क्षमता की बात करें तो सोयाबीन के बीजों की उत्पादन क्षमता जहां 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी तो मूंगफली के बीजों की उत्पादन क्षमता 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है. सरकार के अनुमान के मुताबिक इस कदम से अतिरिक्त 6.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन का उत्पादन शुरू होगा. इससे 120 लाख क्विंटल अतिरिक्त तिलहन का उत्पादन और 24 लाख क्विंटल अतिरिक्त खाद्य तेलों का उत्पादन हो सकेगा.


खाद्य तेलों की महंगाई सातवें आसमान पर


अगर तुलना करें तो पता चलेगा कि पिछले साल के मुक़ाबले इस साल सभी खाद्य तेलों की क़ीमत में औसतन 50 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है . मसलन, उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले साल 21 मई को सरसों तेल की औसत क़ीमत जहां 120 रुपए प्रति लीटर थी वहीं इस साल 19 मई को औसत क़ीमत 170 रुपए प्रति लीटर पहुंच गई . इस दौरान दिल्ली में क़ीमत 132 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 179 रुपए प्रति लीटर पहुंच गई .


इसी तरह इस दौरान मूंगफली तेल की औसत कीमत 130 से 180 रुपए प्रति लीटर, सूरजमुखी तेल की औसत कीमत 110 रुपए से 170 रुपए प्रति लीटर,  पाम ऑयल की औसत कीमत 85 रुपए से 140 रुपए प्रति लीटर और वनस्पति तेल की औसत कीमत 90 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 140 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई है.


जरूरत का 70 फीसदी खाद्य तेल आयात होता है


इस महंगाई की सबसे बड़ी वजह अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में खाद्य तेलों की बढ़ी हुई कीमत है. भारत अपनी जरुरत का करीब 70 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा पाम ऑयल (करीब 52 फीसदी), सोया तेल (21 फीसदी) और सूरजमुखी के तेल (16 फीसदी) का होता है. 2019 में भारत ने करीब 1.5 करोड़ टन खाद्य तेल आयात किया जिसकी कीमत करीब 7300 करोड़ रुपए थी. जाहिर है अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उतार चढ़ाव का सीधा असर भारत में खाद्य तेलों की कीमत पर पड़ता है. मोदी सरकार इसी खाई को तिलहन का घरेलू उत्पादन बढ़ाकर पाटना चाहती है.


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