नाबालिग से रेप के दोषी पादरी को नहीं मिली ज़मानत, पीड़िता से शादी करने की जता चुका है इच्छा
दोषी पादरी को हाई कोर्ट ने यह कहते हुए ज़मानत से मना कर दिया था कि नाबालिग की सहमति हो या न हो, संबंध रेप ही माना जाएगा.
नई दिल्लीः नाबालिग से बलात्कार के दोषी केरल के पादरी को पीड़िता से शादी करने के लिए ज़मानत नहीं मिल पाई. सुप्रीम कोर्ट ने पादरी रॉबिन मैथ्यू की रिहाई के आदेश देने से मना कर दिया.मामले में पादरी 20 साल की सज़ा काट रहा है. इससे पहले पादरी ने केरल हाई कोर्ट में कहा था कि उसने 16 साल की पीड़िता की सहमति से संबंध बनाए थे. अब वह पीड़िता और उससे पैदा हुई अपनी संतान को सहारा देना चाहता है.
हाई कोर्ट ने यह कहते हुए ज़मानत से मना कर दिया था कि नाबालिग की सहमति हो या न हो, संबंध रेप ही माना जाएगा. इस अपराध में पादरी दोषी करार दिया जा चुका है.
केरल में काफी चर्चा में रहे इस मामले का पता 2017 में तब चला था, जब नियमित रूप से चर्च जाने वाली नाबालिग लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया. लोगों के दबाव के बीच पादरी रॉबिन मैथ्यू वडक्कमचेरी ने स्वीकार किया था कि बच्चा उसका है. 2019 में निचली अदालत ने उसे रेप के लिए 20 साल की सज़ा दी थी.
पादरी को हाई कोर्ट से शादी के लिए जमानत न मिलने के बाद अब पीड़िता सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. उसका कहना था कि वह अब नाबालिग नहीं रही. उसका बच्चा 5 साल का होने वाला है. उसके स्कूल में दाखिले के लिए पिता के नाम की ज़रूरत पड़ेगी. इसलिए, उससे शादी करना चाह रहे रॉबिन मैथ्यू को जमानत दे दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा आदेश देने से मना कर दिया. कोर्ट ने कहा कि रेप के मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील हाई कोर्ट में लंबित है. सभी पक्ष वहीं अपनी बात रखें.