नई दिल्ली: राज्यसभा में जम्मू कश्मीर से आने वाले 4 सांसदों का कार्यकाल अगले कुछ दिनों के अंदर खत्म हो रहा है. इन्हीं में से एक नाम राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद का भी है. वैसे तो गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल 15 फरवरी को खत्म हो रहा है, लेकिन क्योंकि कुछ और सांसदों का कार्यकाल गुलाम नबी आजाद से भी पहले खत्म हो रहा है, लिहाजा सभी सांसदों को एक साथ सदन ने विदाई दी. इस मौके पर गुलाम नबी आजाद के साथ बिताए हुए वक्त को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन के अंदर कई बार भावुक हो गए और उनकी आंखें छलक गईं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद को लेकर जब बोलना शुरू किया तो सबसे पहले उनके साथ बिताए हुए वक्त और विपक्ष के नेता के तौर पर गुलाम नबी आजाद के साथ सदन में गुज़ारे पलों की यादें साझा की. पीएम मोदी ने कहा, ''मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी आजाद जी के बाद इस पद को जो संभालेंगे उनको गुलाम नबी से मैच करने में बहुत दिक्कते होंगी, क्योंकि गुलाम नबी जी न सिर्फ अपने दल की चिंता करते थे, बल्कि इसके साथ ही देश और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे. पीएम ने कहा कि ये छोटी बात नहीं है वरना विपक्ष के नेता के रूप में हर कोई अपना दबदबा कायम करना चाहता है."
इसी दौरान प्रधानमंत्री ने जब जम्मू कश्मीर की एक आतंकी घटना का जिक्र किया तो उनकी आंखें नम हो गईं. प्रधानमंत्री ने कहा, ''गुलाम नबी आजाद उस दौरान जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था. हम दोनों की बहुत गहरी निकटता थी. एक बार गुजरात के यात्री जम्मू-कश्मीर घूमने गए और आतंकियों ने उनपर हमला कर दिया, करीब आठ लोग मारे गए. इस दौरान सबसे पहले गुलाम नबी जी ने मुझे फोन किया.'' और इतना कहते ही पीएम मोदी भावुक हो गए. उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे और संसद एक दम खामोश हो गई. फिर पीएम मोदी ने पानी पिया और अपने आप को संभाला."
पीएम मोदी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए आगे कहा, ''वह फोन मुझे सूचना देने का नहीं था, लेकिन आज़ाद जी के आंसू रुक नहीं रहे थे. उस वक्त प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे. मैंने उन्हें फोन किया कि अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए शव लाने के लिए तो सही रहेगा. उन्होंने कहा कि मैं व्यवस्था करता हूं. इसके बाद गुलाम नबी आजाद जी का एयरपोर्ट से फिर से फोन आया. जैसे कोई अपने परिवार की चिंता करता है, वैसे ही चिंता गुलाम नबी आजाद की आवाज में उस दिन सुनाई दे रही थी."
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुलाम नबी आजाद से मेरे रिश्ते दोस्ताना रहे हैं. राजनीति में बहस और वार पलटवार चलता रहता है. लेकिन एक मित्र होने के नाते मैं उनका बहुत आदर करता हूं.
प्रधानमंत्री के बाद अलग-अलग दलों के नेताओं ने भी गुलाम नबी आजाद के साथ बिताए हुए वक़्त और उनसे मिली सीख को याद किया. एक स्वर से सभी दलों के सांसदों ने कहा कि गुलाम नबी आजाद का व्यक्तित्व ऐसा रहा है, जिनसे सभी उम्र के लोगों को हमेशा ही कुछ न कुछ सीखने को मिलता रहा है. इस दौरान अधिकतर सांसदों ने यही दुआ की कि जल्द एक बार फिर गुलाम नबी आजाद की सदन में वापसी हो.
अंत में गुलाम नबी आजाद ने भी सदन में मौजूद सभी सांसदों, राज्य सभा के चेयरमैन, डिप्टी चेयरमैन समेत पूरे स्टाफ का शुक्रिया अदा किया. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मुझे गर्व होता है कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं. हमारे देश में किसी भी मुसलमान को गौरव होना चाहिए कि वह हिंदुस्तानी मुसलमान है. इसके साथ ही देश के बहुसंख्यको को भी 2 कदम आगे बढ़ने की ज़रूरत है.
आजाद ने कहा कि मेरे जीवन में अब तक 5 मौके ही ऐसे रहे हैं, जब मैं चिल्लाकर रोया हूं और इन्हीं में से एक मौका वह दिन भी था जब आतंकी हमले में गुजरात के लोगों की जान गई थी. वही दिन जिस घटना का जिक्र प्रधानमंत्री ने सदन में किया है. आजाद ने कहा कि हम सब यही दुआ कर रहे हैं कि देश से आतंकवाद खत्म हो और देश खुशहाली के रास्ते पर आगे बढ़े.
अपने भाषण को खत्म करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सदन में विपक्ष के नेता के तौर पर अक्सर प्रधानमंत्री के साथ भी टोका टोकी चलती रही. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने कभी उसका बुरा नहीं माना और ना ही प्रधानमंत्री ने कभी व्यक्तिगत तौर पर उनके बयानों को अपने खिलाफ लिया. इतना ही नहीं ईद, दिवाली और जन्म दिवस के मौके पर हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फोन करते रहे. गुलाम नबी आजाद ने तो यहां तक कहा कि ईद, दिवाली और जन्मदिन के मौके पर किसी और का फोन आए ना आए, लेकिन कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन जरूर आता था और यही उनके व्यक्तिगत संबंध को भी दिखाता है.
जम्मू कश्मीर के जिन चार राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल अगले कुछ दिनों में खत्म हो रहा है, उनमें गुलाम नबी आजाद के साथ ही शमशेर सिंह, मोहम्मद फैयाज और नसीर अहमद का नाम शामिल है.