नई दिल्ली: 2019 के आम चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न मिलने से नाराज टीडीपी के दोनों मंत्रियों ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया है. दोनों मंत्रियों ने आज शाम प्रधानमंत्री से मुलाकात कर इस्तीफा दिया. अशोक गजपति राजू के पास विमान मंत्रालय था तो वहीं वाई एस चौधरी विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय में राज्य मंत्री थे.
इस्तीफा देने के बाद वाइएस चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''हम एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे लेकिन कोई मंत्री पद नहीं लेंगे. मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है.'' उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि प्रधानमंत्री इन मामलों को देखेंगे. यह संबंधित मंत्रियों को को देखना है, महत्वपूर्ण समय निकल चुका है.''
मोदी-नायडू के बीच 20 मिनट हुई बात
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा ना दिए जाने से नाराज चंद्रबाबू नायडू ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की. दोनों के बीच ये बातचीत करीब बीस मिनट तक चली. सूत्रों की मानें तो दोनों के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा भी हुई.
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं: जेटली
कल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कहा था कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है. विशेष राज्य से मतलब स्पेशल आर्थिक पैकेज होता है जो हर राज्य को दिया जाना संभव नहीं है. वित्त मंत्री ने कहा, ''डिवीजन के दौरान आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य देने का वादा किया गया था तब विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान होता था. 14वें वित्तीय आयोग की रिपोर्ट आई जो संवैधानिक है, उसमें कहा गया कि ऐसा दर्जा नहीं दिया जा सकता.''
राहुल गांधी ने किया विशेष दर्जा देने का वादा
टीडीपी लगातार आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर संसद के अंदर से लेकर बाहर तक प्रदर्शन कर रही थी. राहुल गांधी भी जंतर मंतर पर टीडीपी के प्रदर्शन में शामिल हुए थे और वादा किया था कि अगर यूपीए 2019 में सत्ता में आई तो सबसे पहले आंध्र को विशेष दर्जा देने पर फैसला होगा. आंध्र प्रदेश में अभी टीडीपी की सरकार है.
TDP के जाने के बाद YRS कांग्रेस से हाथ मिला सकती है BJP
चंद्रबाबू नायडू पहले भी एनडीए से एक बार बाहर जा चुके हैं. चंद्रबाबू नायडू अगर कांग्रेस से हाथ मिलाते हैं तो बीजेपी भी नए विकल्प पर विचार करेगी. नायडू की पार्टी के अलावा वाईएसआर कांग्रेस इस वक्त आंध्र में काफी मजबूत पार्टी है. ऐसे में बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस 2019 के लिए साथ आ सकते हैं.
ये है आंध्र प्रदेश की सीटों का हिसाब
2014 के लोकसभा चुनाव में आंध्र की 25 सीटों में से टीडीपी को 15, वाईएसआर कांग्रेस को आठ और बीजेपी को दो सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस का न तो लोकसभा में खाता खुला था और ना ही विधानसभा में ही. अब कांग्रेस को साझेदार की तलाश है तो टीडीपी के हटने के बाद बीजेपी को भी मजबूत साथी चाहिए. यानी राज्य में ये दो खेमे बन सकते हैं.
टीडीपी का साथ छूटने से क्या होगा?
2014 में आंध्र के चुनाव में चार प्लेयर थे. टीडीपी और बीजेपी साथ थी जबकि कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस अलग अलग थीं. 2014 के लोकसभा चुनाव में टीडीपी को 29 फीसदी और बीजेपी को 8.5 फीसदी वोट मिले थे. जबकि वाईएसआर कांग्रेस को भी 29 फीसदी वोट मिले थे और कांग्रेस को यहां 11.5 फीसदी वोट मिले थे. आंध्र में बीजेपी अकेले किसी का मुकाबला नहीं कर सकती. इसलिए टीडीपी का साथ छूटता है तो वाईएसआर कांग्रेस से इसका गठबंधन तय है. इसका फायदा आंध्र और तेलंगाना दोनों में होगा.