पीएम मोदी बोले- 16 जनवरी से शुरू होगा दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण
देश में 16 जनवरी को कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत में जिन दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी गई है वो दुनिया के मुकाबले सस्ती है. दोनों वैक्सीन का निर्माण भारत में ही हुआ है और ये हमारे लिए गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि सभी राज्यों से बातचीत करके वैक्सीनेशन की प्राथमिकता तय की गई है. 16 जनवरी से भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण शुरू होगा.
बैकग्राउंड
नई दिल्ली: कोरोना की वैक्सीन को लेकर पीएम मोदी आज मुख्यमंत्रियों के साथ आज बड़ी बैठक करने वाले हैं. ये बैठक काफी अहम है क्योंकि आज की बैठक में पीएम मोदी वैक्सीन का पूरा ब्लूप्रिंट देश के सामने रख सकते हैं. मसलन वैक्सीन कितने में मिलेगी, किन राज्यों में मुफ्त मिलने वाली है. शाम 4 बजे होने वाली इस बैठक में पीएम मोदी मुख्यमंत्रियों को दोनों वैक्सीन यानी कोवीशील्ड और कोवैक्सीन की सप्लाई चेन और उसके राज्यों को मिलने वाले हिस्सों पर बात रख सकते हैं.
इस पूरे मामले में असली पेंच वैक्सीन के दाम को लेकर फंसा है. कई राज्यों ने बैठक से पहले ही वैक्सीन को मुफ्त में देने की मांग उठा दी है. ये राज्य हैं राजस्थान, दिल्ली और छत्तीसगढ़ वहीं कुछ राज्य खुद ही वैक्सीन मुफ्त में बांटने की बात कह रहे हैं. ये राज्य पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मध्य प्रदेश, केरल, ओडिशा, असम, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक हैं.
कोरोना काल में राज्यों को कई तरह के नुकसान उठाने पड़े हैं. ऐसे में एबीपी न्यूज से बात करते हुए हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि अगर सक्षम लोगों को पैसे देने भी पड़ते हैं तो कोई गलत बात नहीं है. पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने राज्य में सबको मुफ्त वैक्सीन का एलान किया है. टीएमसी का कहना है कि ममता बनर्जी ने बजट को ध्यान में रखकर ही कोई घोषणा की है. चुनावी राज्य होने की वजह से पश्चिम बंगाल के मुफ्त वैक्सीन पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
सबसे पहले मुफ्त वैक्सीन का वादा बिहार में एनडीए ने किया था. बिहार में एनडीए की सरकार बन भी गई. एबीपी न्यूज से बात करते हुए बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का कहना है कि मुफ्त वैक्सीन का वादा पूरा करने के लिए तैयार हैं. बिहार में कोरोना वैक्सीन पर चुनावी वादा करके नई नई आई नीतीश सरकार और बंगाल में चुनाव से पहले वादा कर चुकी ममता सरकार का सियासी समीकरण समझना मुश्किल नहीं है. लेकिन जिन राज्यें में चुनाव नहीं है वहां सरकारें केंद्र सरकार को वैक्सीन का पैसा देने के लिए कह रही हैं. ऐसे में हमें वैक्सीन और राज्यों के पैसों का गणित भी समझना होगा.
दिल्ली में टीके लायक आबादी 1 करोड़ 48 लाख है, मुफ्त वैक्सीन पर 592 करोड़ रुपये खर्च होंगे जो कि स्वास्थ्य बजट का सिर्फ 8% है. पश्चिम बंगाल में टीके लायक आबादी 7 करोड़ जिनके मुफ्त वैक्सीन पर 2,800 करोड़ खर्च होंगे जो कि स्वास्थ्य बजट का 25 फीसद है. बिहार में टीके लायक आबादी 7 करोड़ 29 लाख है जिनके मुफ्त वैक्सीन पर 2 हजार 916 करोड़ खर्च होंगे जो कि स्वास्थ्य बजट का 28% है. अगर केंद्र पूरे देश में मुफ्त वैक्सीन देती है तो उसका हिसाब किताब भी जान लीजिए. देश में वैक्सीन लायक आबादी 91 करोड़ 5 लाख है, मुफ्त वैक्सीन पर खर्च 36 हजार 420 करोड़ आएगा जो कि पूरे देश के स्वास्थ्य बजट का 54% है.
यानी पहले से ही मंदी में चल रही अर्थव्यवस्था में पूरे देश में मुफ्त वैक्सीन की गुंजाइश कम ही लगती है. लेकिन अभी ये भी साफ नहीं है कि 3 करोड़ फ्रटलाइन वर्कर्स को मुफ्त वैक्सीन में हर राज्य को कितना हिस्सा मिलेगा और उसके लिए उसके क्या कोई कीमत चुकानी होगी. अगर हां तो कितनी और तीन करोड़ टीकों के बाद आने वाले टीकों के लिए क्या दाम होगा? क्या उसे बाजार नियंत्रित करेगा या फिर उन टीकों को सरकारी राशनिंग के जरिए बांटा जाएगा या फिर सरकार खुद टीकों को खरीदकर कम दामों में जनता को ये टीके मुहैय्या कराएगी. उम्मीद लगाई जा रही है कि आज की बैठक के बाद इन सारे सवालों के जवाब मिल सकेंगे.
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