अलीगढ में 14 सितंबर को जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1915 में अफगानिस्तान में बनाई थी भारत की अंतरिम सरकार, 1930 में महात्मा गांधी को पत्र लिख कहा था कि जिन्ना जहरीला सांप हैं गले मत लगाइए.
राजा महेंद्र सिंह ने ही अलीगढ़ में विश्वविद्यालय खोलने के लिए अपनी जमीन दान की थी लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के किसी भी कोने में उनका नाम अंकित नहीं है. इसी कारण यहां पर एएमयू यानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम बदलने के लिए काफी मांग उठती रहती है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए रास्ता खोज निकाला है.
2019 को विश्वविद्यालय के निर्माण की घोषणा की गई
उत्तर प्रदेश सरकार ने AMU के जवाब में महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया. योगी आदित्यनाथ ने 2019 में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर अलीगढ़ में एक नया विश्वविद्यालय स्थापित करने का भरोसा दिलाया था. सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो साल पहले सितंबर महीने में 2019 को विश्वविद्यालय के निर्माण की घोषणा की थी अब इसकी नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 14 सितंबर को रखेंगे.
जिला प्रशासन ने 37 हेक्टेयर से अधिक सरकारी भूमि कोल तहसील के लोढ़ा और मुसईपुर गांवों में विश्वविद्यालय के लिए भूमि प्रस्तावित की गई है. इसके अलावा अन्य 10 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है. राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर एक विश्वविद्यालय की मांग 2018 में उठी थी जब हरियाणा के बीजेपी नेताओं ने जाट राजा के नाम पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम बदलने का आह्वान किया था. उस वक्त इस बात का ज़ोर दिया गया था कि महेंद्र प्रताप ने 'एएमयू के लिए भूमि दान' की थी.
2022 से पहले यह विश्वविद्यालय को तैयार करने का उद्देश्य
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सभा में बताया था कि महाराजा महेंद्र प्रताप ने ब्रिटिश को बहुत बड़ी चुनौती दी थी. वह अलीगढ़ के राजा थे लेकिन उन्होंने अफगानिस्तान जाकर आजाद हिंद फौज की टीम गठित की थी. इससे पहले स्थानीय राजनेताओं ने भी इसे लेकर मांग उठाई थी. हालांकि, योगी सरकार ने 2019 में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर अलीगढ़ में एक नया विश्वविद्यालय स्थापित करने का भरोसा दिलाया था. इस विश्वविद्यालय को बनाने की घोषणा बीजेपी सरकार बनने के एक साल बाद ही कर दी गई थी लेकिन अब निर्माण में तेजी लाने का आदेश है ताकि 2022 से पहले यह विश्वविद्यालय बनकर तैयार हो जाए.
महेन्द्र प्रताप का जन्म एक दिसम्बर 1886 को एक जाट परिवार में हुआ था जो मुरसान रियासत के शासक थे. यह रियासत वर्तमान उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में है. वे राजा घनश्याम सिंह के तृतीय पुत्र थे, जब वो तीन साल के थे तब हाथरस के राजा हरनारायण सिंह ने उन्हें पुत्र के रूप में गोद ले लिया.
1979 में हुआ देहांत
राजा महेंद्र सिंह के बारे में बताया जाता है कि थॉमस कुक एंड संस के मालिक बिना पासपोर्ट के अपनी कम्पनी के पी एंड ओ स्टीमर द्वारा राजा महेन्द्र प्रताप और स्वामी श्रद्धानंद के ज्येष्ठ पुत्र हरिचंद्र को इंग्लैंड ले गए. उसके बाद जर्मनी के शासक कैसर से उन्होंने भेंट की. वहां से वो अफगानिस्तान गए, फिर बुडापेस्ट, बुल्गारिया, टर्की होकर हेरात पहुंचे जहां अफगान के बादशाह से मुलाकात की और वहीं से 1 दिसम्बर 1915 में काबुल से भारत के लिए अस्थाई सरकार की घोषणा की जिसके राष्ट्रपति स्वयं और प्रधानमंत्री मौलाना बरकतुल्ला खां बने.
यहां स्वर्ण-पट्टी पर लिखा सूचनापत्र रूस भेजा गया उसी दौर में अफगानिस्तान ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया. तभी वे रूस गए और लेनिन से मिले लेकिन लेनिन ने कोई सहायता नहीं की. साल 1920 से 1946 विदेशों में भ्रमण करते हुए विश्व मैत्री संघ की स्थापना की फिर 1946 में भारत लौटे. यहां सरदार पटेल की बेटी मणिबेन उनको लेने कलकत्ता हवाई अड्डे गईं इसके बाद वो संसद-सदस्य भी रहे. 26 अप्रैल 1979 में उनका देहांत हो गया अब उनके नाम पर अलीगढ़ में विश्व विध्यालाय की स्थापना की जा रही है.
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