Independence Day: वो प्रधानमंत्री, जिन्हें नहीं मिल पाया लाल किले पर तिरंगा फहराने का अवसर
National Flag Of India: आजाद भारत के इतिहास में दो प्रधानमंत्री ऐसे भी हुए, जिन्हें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर झंडा फहराने का अवसर नहीं मिल सका.
National Flag: हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 26 जनवरी के दिन देश के प्रधानमंत्री के द्वारा भारत की राजधानी दिल्ली स्थित लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, लेकिन आजाद भारत के इतिहास में दो प्रधानमंत्री ऐसे भी हुए जिन्हें यह महान अवसर नहीं मिल सका. आइए जानते हैं ऐसे कौन से प्रधानमंत्री हैं जो लालकिले पर झंडा नहीं फहरा सके.
गुलजारी लाल नंदा-
गुलजारी लाल नंदा जी ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्हें लालकिले पर झंडा फहराने का अवसर प्राप्त नहीं हो सका. उन्होंने दो बार प्रधानमंत्री का पद संभाला, लेकिन दोनों ही बार वह कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर थे. पहली बार 1964 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के चलते उन्हें 13 दिनों तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने का मौका मिला. उनका यह कार्यकाल 27 मई 1964 -9 जून 1964 तक था. ऐसे में उन्हें अपने पहले कार्यकाल के दौरान लालकिले पर तिरंगा फहराने का मौका नहीं मिला.
वह दूसरी बार तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्ती की मृत्यु के बाद फिर से कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाए गए. इस दौरान वह 11 जनवरी 1966 से 24 जवरी 1966 तक पद पर रहे. ऐसे में अपने दूसरे कार्यकाल में भी गुलजारी लाल नंदा को लालकिले पर झंडा फहराने का अवसर नहीं मिल सका.
चन्द्रशेखर-
लालकिले पर झंडा फहराने का अवसर प्राप्त ना कर पाने वाले दूसरे प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर जी थे. उनका कार्यकाल 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक सीमित समय का था. ऐसे में उन्हें भी लालकिले पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अवसर नहीं मिल सका. आप इस बात को लेकर उलझन में होंगे कि चन्द्रशेखर के कार्यकाल के दौरान गणतंत्र दिवस था. तो आपको यह जानना जरूरी है कि गणतंत्र दिवस के दिन देश के राष्ट्रपति द्वारा झँडा फहराया जाता है ना कि प्रधानमंत्री के द्वारा.
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