मुंबई: कोरोना काल में नौकरी छूटने या सैलेरी में कटौती की वजह से कई पेरेंट्स को अपने बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे समय में महाराष्ट्र के पवई में एक राज्य बोर्ड स्कूल की प्रिंसिपल ने निजी व्यक्तियों और कॉर्पोरेट घरानों से 40 लाख रुपये जुटाने में कामयाबी हासिल की है. इस रकम से करीब 200 छात्रों की स्कूल फीस भर दी गई. 


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पवई इंग्लिश हाई स्कूल की प्रिंसिपल शर्ली पिल्लई ने मार्च 2020 में कोविड लॉकडाउन लागू होने के तुरंत बाद क्राउडफंडिंग की पहल की थी. चार साल से स्कूल का नेतृत्व कर रहीं शर्ली ने कहा, "अपने 35 साल के अध्यापन में पहली बार, मैंने अपनी मेज पर रिपोर्ट कार्ड का ढेर देखा था और माता-पिता उन्हें लेने के लिए स्कूल आने को तैयार नहीं थे."


उन्होंने आगे कहा, "2200 छात्रों में से सिर्फ 50 फीसदी ने अपनी फीस का भुगतान किया था. जब टीचर उन छात्रों के पेरेंट्स के पास पहुंचे, तो उन्होंने फीस जमा करने में समर्थता व्यक्त की. टीचर्स ने इस महामारी के दौर में उन पेरेंट्स के जीवन के संघर्ष को समझा. हमारे स्कूल में दिहाड़ी मजदूरों और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे पढ़ रहे हैं. मुझे इस बात की चिंता थी कि ऐसे समय में सबसे पहले छात्राओं को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया जाएगा."


एक छात्र की सालान फीस है 35 हजार रुपये
प्रिंसिपल शर्ली पिल्लई ने टीओआई से आगे कहा, "शुरुआत में स्कूल ने 2019-20 के लिए लगभग 35,000 रुपये की वार्षिक फीस में 25 फीसदी की छूट दी थी. 105 टीचर्स और कर्मचारियों के वेतन में पहले ही 30 फीसदी से 50 फीसदी की कटौती की थी. इसके बावजूद भी काम नहीं चला, तो मैंने पवई में कॉरपोरेट्स और कुछ अन्य व्यक्तियों से मदद लेने का फैसला किया. लोगों से छात्रों की शिक्षा को स्पॉन्सर करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया. कॉर्पोरेट्स को जवाब देने में थोड़ा समय लगा. मुझे खुशी है कि कोशिश रंग लाई. कुल एकत्रित राशि से लगभग 200 छात्रों की फीस का भुगतान किया जा चुका है. अब हम साल 2021-22 के लिए अपने छात्रों के लिए स्पॉन्सर्स की तलाश कर रहे हैं."


प्रिंसिपल ने कहा कि स्कूल के सभी छात्रों को ऑनलाइन क्लास में भाग लेने का निर्देश दिया गया है और बच्चों से ये भी कहा गया है कि वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें, फीस का मुद्दा बड़ों पर छोड़ दें.