तिहाड़ जेल में कैदी सीख रहे हुनर, बदले में मिल रहा मेहनताना
जेल अधिकारियों के मुताबिक जो कैदी इन कामों को करते हैं, उन्हें इसके बदले मेहनताना भी दिया जाता है, जिसका उपयोग वे अपने घर भेजने में भी कर सकते हैं और जेल की कैंटीन से खुद के लिए खाने पीने आदि का सामान भी खरीद सकते हैं.
नई दिल्ली: केंद्रीय कारागार तिहाड़ जेल में 18 से 21 साल के युवा कैदियों को जीवन जीने का नया ढंग सिखाने की कोशिश की जा रही है. ये कैदी तिहाड़ जेल नंबर 5 में बंदी हैं. जेल प्रशासन अब इनसे कमरे को महकाने वाले रूम फ्रेशनर, शैंपू, हर्बल गुलाल समेत कुल दस आइटम भी बनवा रहा है, जिससे जेल से बाहर आने के बाद जेल में सीखे गए टेक्निकल हुनर के चलते एक नई दुनिया में कदम रख सकें.
जेल अधिकारियों के मुताबिक जो कैदी इन कामों को करते हैं, उन्हें इसके बदले मेहनताना भी दिया जाता है, जिसका उपयोग वे अपने घर भेजने में भी कर सकते हैं और जेल की कैंटीन से खुद के लिए खाने पीने आदि का सामान भी खरीद सकते हैं. जेल नंबर 5 के अधीक्षक आदेश्वर कांत के मुताबिक सेंट्रल जेल नंबर 5 तिहाड़ में 18-21 साल की उम्र के बीच के कैदियों के लिए है, इस जेल का मुख्य उद्देश्य उन्हें शैक्षिक और व्यावसायिक ट्रेडों में शामिल करना है, ताकि कैदी जेल से रिहाई के बाद जेल में व्यावहारिक प्रशिक्षण के दौरान उनके जरिए अर्जित ज्ञान और अनुभव के आधार पर अपनी आजीविका कमा सकें.
जेल नंबर 5 में फैक्ट्री यूनिट की स्थापना
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सेंट्रल जेल नंबर 5 में एक फैक्ट्री यूनिट की स्थापना की गई है, जहां कैदियों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से कई उत्पादन गतिविधियां की जाती हैं और वर्तमान में लगभग 20-25 कैदी कारावास के दौरान आय अर्जित करने और व्यवसाय सीखने के लिए लगे हुए हैं. महानिदेशक (जेल), संदीप गोयल ने हाल ही में सेंट्रल जेल नंबर 5 की फैक्ट्री में रूम फ्रेशनर्स और शैंपू यूनिट्स का उद्घाटन किया था.
वर्तमान में अनेकों हर्बल उत्पाद, सेंट्रल जेल नंबर 5 के कारखाने में निर्मित किए जा रहे हैं. साथ ही इन उत्पादों को जेल के बाहर भी बेचा जा रहा है. जेल अधिकारियों के मुताबिक इससे होने वाली आय से कैदियों को उनका मेहनताना दिया जाता है और बची हुई रकम को जेल कैदी कल्याण फंड में जमा कर दिया जाता है. तिहाड़ जेल महानिदेशक संदीप गोयल के मुताबिक जेल प्रशासन की कोशिश है कि जेल में रहने वाले समय के दौरान यह युवा कैदी नई प्रतिभाएं सीख सकें, जिससे जब भी वह जेल से बाहर जाएं तो उन्हें अपना नया रास्ता चुनने में कोई कठिनाई न हो.
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