Corona In Maharashtra: कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus) के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने पेरोल पर रिहा किए गए कैदियों को वापस रिपोर्ट करने को कहा है. लेकिन कई हत्या के कैदियों ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. 


दरअसल COVID-19 के कारण मई 2020 में पेरोल पर रिहा हुए 49 हत्या के दोषियों ने राज्य में कोरोनोवायरस (Corona Virus) के मामलों की बढ़ती संख्या का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कैदी नासिक, औरंगाबाद, अमरावती और कोल्हापुर की जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे थें और कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्हें आपातकालीन पेरोल पर रिहा किया गया था. इन कैदियों ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य द्वारा दी गई 4 मई, 2022 के सर्कुलर को चुनौती दी है, जिसमें उन सभी कैदियों को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा गया है, जिन्हें अस्थायी पेरोल या जमानत दी गई थी. 


कब दी गई थी जमानत 


दरअसल 23 मार्च, 2020 को शीर्ष अदालत ने देश में कोरोना के बढ़ते मामले और जेलों में कैदियों की भीड़ को देखते हुए स्वत: संज्ञान लिया था और प्रत्येक राज्य के जेल में सजा काट रहे कैदियों के बीच COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए उनकी पहचान करने और रिहा करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) का गठन करने का आदेश दिया था.महाराष्ट्र सरकार ने HPC की सिफारिश के आधार पर, 8 मई 2020 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें निर्देश दिया गया था कि दोषी कैदियों, जिनकी अधिकतम सजा सात साल से अधिक है, उन्हें आपातकालीन पैरोल के लिए आवेदन पर विचार किया जाएगा. 


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