कैदियों को सभी बुनियादी सुविधाएं दी जानी चाहिए, वह भी मनुष्य हैं- हाई कोर्ट
जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अली मोहम्मद मागरे ने आदेश दिया कि जेलों में बंद सभी कैदियों को तमाम बुनियादी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएं.
Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख उच्च न्यायालय (Laddakh High Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अली मोहम्मद मागरे (Ali Mohammad Magre) ने मंगलवार को कहा कि कैदियों को सभी बुनियादी सुविधाएं दी जानी चाहिये क्योंकि वह भी मनुष्य हैं और सभी मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) के हकदार हैं.
न्यायमूर्ति मागरे ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वह जेलों में बंद सभी कैदियों को तमाम बुनियादी सुविधा उपलब्ध करवायें. सरकारी प्रवक्ता ने यहां बताया कि न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि कैदी भी मनुष्य हैं, और जेल में बंद रहते हुये भी वे सभी मौलिक अधिकारों के हकदार हैं.
मौलिक अधिकार से वंचित नहीं हों सजायाफ्ता कैदी
जम्मू कश्मीर विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति मागरे ने एक बैठक की अध्यक्षता करते हुये इस बात को सुनिश्चित करने पर विचार किया कि कैसे जेल में बंद विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदी किसी भी बुनियादी मौलिक अधिकार से वंचित नहीं हो .
प्रवक्ता ने बताया कि इस बैठक में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आर के गोयल, कारागार महानिदेशक एच के लोहिया तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने शिरकत की. उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान, गोयल ने न्यायमूर्ति मागरे को जम्मू-कश्मीर की विभिन्न जेलों में बंदियों के लिए उपलब्ध मौजूदा सुविधाओं और निकट अतीत में किए गए सुधारों से अवगत कराया.
बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर कर रहे विचार
प्रवक्ता ने बताया कि उन्हें यह बताया गया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) की 14 जेलों में 3,629 कैदियों की स्वीकृत क्षमता के मुकाबले 5,148 कैदी हैं, इसलिए जेलों में बंद कैदियों की औसत दर 142 प्रतिशत है. उन्होंने बताया, न्यायमूर्ति मागरे को यह भी बताया गया कि सरकार जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर विचार कर रही है.
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