मुंबई: कांग्रेस (Congress) नेता और महाराष्ट्र (Maharashtra ) के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ( Prithviraj Chavan) ने कहा कि वह गत चार साल से वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi ) से मुलाकात नहीं कर सके हैं. चव्हाण पार्टी के भीतर नाराज गुट के सदस्य हैं. उन्होंने गुरुवार को को जारी टाइम्स ऑफ इंडिया के पॉडकास्ट पर कहा कि उदयपुर में हाल में कांग्रेस द्वारा आयोजित चिंतन शिविर में कोई ‘‘ चिंतन’’नहीं किया गया.


चव्हाण ने इंटरव्यू में कहा, ‘‘जब भी मैं दिल्ली में होता हूं डॉ.मनमोहन सिंह से कभी-कभार मिलना हो जाता है. लेकिन उनका स्वास्थ्य अब वैसा नहीं है जैसा पहले था. वह हमेशा से आतिथ्य का भाव रखते आए हैं और बातचीत को तैयार रहते हैं. मैंने जब भी समय मांगा, सोनिया गांधी से भी मुलाकात हुई लेकिन लंबे समय से मैंने राहुल गांधी से मुलाकात नहीं की है....मेरे विचार से चार साल हो गए हैं उनसे मिले हुए. ऐसी शिकायत रहती है कि पार्टी नेतृत्व से मुलाकात सुलभ नहीं होती है जबकि यह होना चाहिए.’’


पूर्व केंद्रीय मंत्री चव्हाण नाराज नेताओं के समूह जी-23 के सदस्य हैं जो हाल के सालों में हुए चुनावों में पार्टी को मिली हार के मद्देनजर संगठन में सुधार करने की मांग कर रहा है.


उदयपुर में हुई बैठक के बारे में चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के समक्ष मौजूद मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ‘‘चिंतन शिविर’’ आयोजित करने पर सहमति जताई थी, लेकिन कोई ‘जो राजा के प्रति अधिक निष्ठावान’’ है ने तय किया कि चिंतन या आत्ममंथन की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, उदयपुर बैठक ‘नव संकल्प शिविर’ था. पार्टी ने महसूस किया कि पोस्टमार्टम की जरूरत नहीं है केवल भविष्य पर चर्चा की जरूरत है.’’


ईमानदार आत्ममंथन करने की जरूरत
चव्हाण ने कहा, ‘‘ ईमानदार आत्ममंथन करने की जरूरत है, जिम्मेदारी तय करने या लोगों को लटकाना नहीं, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गलतियों को दोहराया नहीं जाए. असम और केरल विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के प्रदर्शन पर विचार करने के लिए समिति गठित की गई थी. लेकिन समिति की रिपोर्ट को अलमारी में दफन कर दिया गया जो सही तरीका नहीं है.’’


कपिल सिब्बल का मानना था कि…’
चव्हाण ने कहा कि हाल में पार्टी छोड़ने वाले कपिल सिब्बल का मानना था कि कांग्रेस नेतृत्व को ईमानदार सलाह नहीं मिल रही है और ‘‘मनोनीत’’ व्यक्ति वही सलाह दे सकता है जो नेतत्व को पसंद हो. उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी को वर्ष 2024 में हराना चाहते हैं, तो हमें आगामी 12 राज्यों की विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव में बेहतर करना होगा. हमें समान विचार वाली पार्टियों के साथ बृहद गठबंधन करना होगा.’’


चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस ‘‘ अनुभवी लोगों’’ और ‘‘ ऊर्जा से युक्त लोगों’’ के बीच द्वंद्व को देख रही है लेकिन दोनों का मेल वांछनीय है. नव संकल्प शिविर में लिए गए फैसलों के बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा कि इन फैसलों के प्रभावी होने से पहले अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) द्वारा पुष्टि किया जाना है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि चिंतन मुश्किल प्रक्रिया है. पिछले चुनाव में हार के बाद गठित समिति की रिपोर्ट पर चर्चा की जानी चाहिए थी.’’


कई राज्यों में कांग्रेस नेतृत्व शून्यता का शिकार
चव्हाण ने कहा कि मतों में विभाजन ने भाजपा को जीतने में मदद की, राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर कांग्रेस के नेतृत्व में वृहद गठबंधन बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई राज्यों में कांग्रेस नेतृत्व शून्यता का शिकार है, इसलिए क्षेत्रीय पार्टियां उस जगह को भरने की कोशिश कर रही हैं. चव्हाण ने कहा कि समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ वृहद गठबंधन बनाना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं.


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अगर हम वर्ष 2024 के चुनाव में हार जाते हैं तो उदार लोकतंत्र की भावना भी खो जाएगी. हमें पार्टी के भीतर यथाशीघ्र चुनाव कराना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि ‘‘नरम हिंदुत्व’’ के साथ चलना अच्छी रणनीति साबित नहीं होगी क्योंकि लोग उस स्थिति में भाजपा के ‘‘सख्त हिंदुत्व’’की ओर जाएंगे.’’


कांग्रेस (Congress) नेता ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Elections) में किसी मुस्लिम ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान नहीं किया. हमें सही तरीके से धर्मनिरपेक्षता (Secularism) को परिभाषित करना होगा. राज्य का कोई धर्म नहीं है. यह एक धर्म के बजाय दूसरे धर्म का चुनाव करना नहीं हो सकता.’’


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