TMC सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस, पूर्व CJI रंजन गोगोई पर की थी टिप्पणी
पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से सांसद महुआ ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए सोमवार को पूर्व सीजेआई को लेकर टिप्पणी की थी. उनके बयान को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है.
नई दिल्ली: लोकसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर तीखे तेवरों के साथ दिया भाषण टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को भारी पड़ सकता है. मोइत्रा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के खिलाफ बीजेपी के दो सांसदों ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है.
लोकसभा सचिवालय सूत्रों के मुताबिक, पूर्व कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी और वरिष्ठ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस मामले पर पश्चिम बंगाल में कृष्णानगर से सांसद मोइत्रा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की है. लोकसभा अध्यक्ष के पास इस मामले का नोटिस देने वाले सांसदों ने शिकायत दर्ज कराई कि टीएमसी संसद ने न केवल संविधान की मर्यादाओं और लोकसभा की कार्यप्रक्रिया के प्रवधानों का उल्लंघन किया है. बल्कि सदन की कार्यवाही से निकाले जाने के बावजूद अपने सोशल मीडिया पर महुआ अब भी अपने बयानों को दोहरा रही हैं.
पूर्व कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने अपने नोटिस में कहा कि संविधान का अनुच्छेद 121 हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के कामकाज व फैसलों पर सदन में चर्चा पर रोक लगाता है. ऐसे में महुआ ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के लिए सदन में आपत्तिजनक टिप्पणी कर विशेषाधिकार का हनन किया है. इतना ही नहीं सदन की कार्यवाही से निकाले जाने के बावजूद, सोशल मीडिया पर उन्हें प्रचारित प्रसारित किया.
महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग इससे पहले मामले को सदन में उठाते हुए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि महुआ मोइत्रा की टिप्पणियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और उनकी सदस्यता समाप्त होने चाहिए. अपने नोटिस में झारखंड के गोड्डा से सांसद दुबे ने मोइत्रा की टिप्पणियों को लोकसभा कार्य प्रक्रिया के नियम 226, 227, 280 और स्पीकर के निर्देश 115 (I,II) के संदर्भ में उल्लंघन करार देते हुए मामले को सदन की विशेषाधिकार समिति के पास भेजे जाने का आग्रह किया.
सूत्रों के मुताबिक, टीएमसी सांसद के भाषण की टिप्पणियों को लोकसभा अध्यक्ष न अनुचित मानते हर भले ही सदन की कार्यवाही से निकाल दिया हो, लेकिन इससे संवैधानिक नियमों को तोड़ने का दोष तो बनता ही है. खासकर ऐसे में जबकि महुआ मोइत्रा कई टिप्पणियां न केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद हैं बल्कि उन्होंने अपने आपत्तिजनक बयानों को वाजिब बताने की भी कोशिश की है.
महुआ के भाषण पर ऐतराज महत्वपूर्ण है कि सदन में 8 फरवरी को बहस के दौरान महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस पर व्यक्तिगत और चरित्रहनन करने वाले आक्षेपों का उल्लेख करते हुए गंभीर आरोप लगाए. इतना ही नहीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर भी लोगों की अपेक्षाओं और उम्मीदों पर खरा न उतरने का आरोप लगाया. महुआ के भाषण के दौरान ही जहां संसदीय कार्य राज्यमंत्री और सत्ता पक्ष के सांसदों ने ऐतराज जताया. वहीं आसन पर मौजूद एमके प्रेमचंद्रन की तरफ से भी उन्हें ऐसा न करने और आपत्तिजनक टिप्पणियां न दोहराने के लिए आगाह किए गया था.
हालांकि अभी तक महुआ मोइत्रा के खिलाफ मिले विशेषाधिकार हनन के नोटिसों पर कोई फैसला नहीं हुआ है. नोटिस पर फैसला लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को करना है.
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