नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के पास होने के बाद से देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों भी इसी कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे जिनपर पुलिस ने कड़ाई से एक्शन लिया था. पुलिस की इस कार्रवाई में कई लोग घायल हो गए हैं जिनका इलाज चल रहा है.


अब इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आज दिल्ली के इंडिया गेट पर छात्रों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के विरोध में धरना दिया. प्रियंका गांधी इस दौरान दो घंटे तक धरने पर बैठी रहीं. इस दौरान कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता उनके साथे. धरना खत्म करने के बाद प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, ''नागरिकता संशोधन कानून भारत के संविधान के खिलाफ, यह हमारे संविधान को नष्ट करने के लिए लाया गया है.''


प्रियंका गांधी ने सवालिया लहजे में पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और रविवार को छात्रों के खिलाफ कार्रवाई हुई, इन सब पर चुप क्यों हैं. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि सभी को नागरिकता कानून का विरोध करना चाहिए. उन्होंने कहा कि छात्रों को आवाज उठाने का अधिकार. यह देश उनका है.



प्रियंका गांधी के धरने के दौरान उनके साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद और रणदीप सिंह सुरजेवाला मौजूद रहे. सैकड़ों कार्यकर्ता भी धरने के दौरान उपस्थित रहे. इंडिया गेट पर धरने पर बैठने से पहले, प्रियंका गांधी ने कहा कि देश का माहौल ‘खराब’ हो गया है. उन्होंने कहा, ‘‘ देश का वातावरण खराब है. पुलिस (छात्रों) को पीटने के लिए विश्वविद्यालय में घुस कर पीट रही है. सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर रही है. हम संविधान के लिए लड़ेंगे.’’


जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के खिलाफ पुलिस के प्रदर्शन की कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने न्यायिक जांच की मांग की है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, ‘‘जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को प्रवेश की इजाजत नहीं दी, तब पुलिस जामिया में कैसे घुस सकती है और ऐसी बर्बरता कर सकती है.’’


गुलाम नबी आज़ाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आरोप का खंडन किया कि हिंसक प्रदर्शनों के पीछे कांग्रेस का हाथ है. उन्होंने कहा,‘‘ऐसे आरोप लगाना गलत है और हम इसकी निंदा करते हैं.’’सीताराम येचुरी ने घटना की सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस द्वारा जांच की मांग की. येचुरी ने आरोप लगाया, ‘‘हिंसा के पीछे सत्तारूढ़ पार्टी और भारत सरकार है. अगर सरकार यह कानून नहीं लाई होती, तो ऐसी हिंसा भी नहीं होती. इस हिंसा के लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और कैबिनेट जिम्मेदार है.’’


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