Priyanka Gandhi On Netanyahu: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) और उनकी सरकार की निंदा की है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार (26 जुलाई) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में इजरायल-गाजा युद्ध के मुद्दे को उठाया. अपने इस पोस्ट में प्रियंका गांधी ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को मिल रहे समर्थन को शर्मनाक बताया.
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने पोस्ट में लिखा, 'हर गुजरते दिन के साथ गाजा में हो रहे भयानक नरसंहार (Genocide) में नागरिकों, माताओं, पिताओं, डॉक्टरों, नर्सों, सहायताकर्मियों, पत्रकारों, शिक्षकों, लेखकों, कवियों, वरिष्ठ नागरिकों और हजारों मासूम बच्चों की मौत हो रही है.' इजरायल गाजा पर लगातार हमले कर रहा है.
'दुनिया की हर सरकार करे निंदा'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपने पोस्ट में गुहार लगाई कि दुनिया की हर सरकार इजरायली नरसंहार की निंदा करे. उन्होंने लिखा, 'ये दुनिया के सभी व्यक्तियों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे इजरायल सरकार के नरसंहार कार्यों की निंदा करें और उन्हें रोकने के लिए मजबूर करें. घृणा और हिंसा में विश्वास न करने वाले लोगों की ये जिम्मेदारी है और इस वर्ग में वो इजरायली नागरिक भी शामिल हैं जो हिंसा नहीं चाहते.'
तालियां बजाने पर भड़कीं प्रियंका
उन्होंने अपने पोस्ट ये भी लिखा, 'इजरायल की हरकतों को एसी दुनिया में स्वीकार नहीं किया जा सकता जो सभ्यता और नैतिकता की पक्षधर है. हम इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की छवि के अधीन हैं जिनका अमेरिकी कांग्रेस में तालियां बजाकर स्वागत किया जा रहा है. वो इसे बर्बरता और सभ्यता के बीच का टकराव बता रहे हैं. वो बिल्कुल सही हैं क्योंकि इजरायली सरकार की बर्बरता को पश्चिमी दुनिया के ज्यादातर देशों का समर्थन प्राप्त हो रहा है, ये देखना काफी शर्मनाक है. '
क्या बोले थे नेतन्याहू?
बुधवार (24 जुलाई) को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी संसद को संबोधित किया था. संबोधन के दौरान बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में जारी युद्ध का बचाव करते हुए पूर्ण विजय होने तक इसे जारी रखने की बात कही थी. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस दौरान अमेरिकी मदद को बढ़ाए जाने का भी अनुरोध किया था. हालांकि, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का अमेरिका में जमकर विरोध हुआ. जहां कुछ अमेरिकी सांसदों ने संबोधन का बहिष्कार किया तो वहीं हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की.
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