कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को केरल की वायनाड लोकसभा सीट से उप-चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है. यह सीट उनके भाई राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली हुई. राहुल गांधी ने 2024 लोकसभा चुनाव में रायबरेली और वायनाड से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. बाद में उन्होंने वायनाड से इस्तीफा दे दिया था. इसी वजह से वायनाड में उप-चुनाव हो रहे हैं. रोचक बात है कि प्रिंयका गांधी नेहरू खानदान में चौथी पीढ़ी की नेता हैं. कांग्रेस समर्थक और कार्यकर्ता लंबे वक्त से उन्हें चुनाव लड़ाने की मांग कर रहे थे.


जवाहरलाल नेहरू खानदान के पहले शख्स थे, जो चुनावी राजनीति में शामिल हुए. वे भारत के सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री भी रहे. उनके पिता मोतीलाल नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष थे लेकिन तब देश आजाद नहीं था. नेहरू खानदान में दूसरी पीढ़ी से इंदिरा गांधी और उनके पति फिरोज गांधी आते हैं, दोनों चुनावी राजनीति में रहे. इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री भी बनीं. अगस्त 1964 से फरवरी 1967 तक इंदिरा गांधी राज्य सभा की सदस्य रहीं. वह चौथे, पांचवें और छठे सत्र में लोकसभा की सदस्य थी. फिरोज गांधी भी लोकसभा सांसद रहे. 


तीसरी पीढ़ी से राजीव गांधी, सोनिया गांधी संजय गांधी और मेनका गांधी भी सक्रिय राजनीति में रहे और चुनाव जीते. चौथी पीढ़ी से राहुल गांधी, वरुण गांधी भी लोकसभा पहुंचे. हालांकि, इस बार वरुण गांधी को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. चौथी पीढ़ी में प्रियंका गांधी भी हैं जो लंबे वक्त से राजनीति में तो एक्टिव हैं, लेकिन चुनावी राजनीति में उनकी एंट्री अब होने जा रही है. चौथी पीढ़ी में प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वॉड्रा और वरुण गांधी की पत्नी यामिनी रॉय चौधरी ही नेहरू खानदान में दो ऐसे सदस्य हैं, जो अब तक तक चुनावी राजनीति में नहीं उतरे. हालांकि, रॉबर्ट वॉड्रा तो कई बार चुनावी राजनीति में उतरने की इच्छा भी जता चुके हैं.


दक्षिण पर पकड़ मजबूत रखना चाहती है कांग्रेस


राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रियंका गांधी को पार्टी की ओर से काफी सोच समझकर वायनाड से उतारा गया है. 2024 लोकसभा चुनाव में कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें सोनिया गांधी की रायबरेली सीट से उतारा जा सकता है. हालांकि, इस सीट से राहुल गांधी चुनाव लड़े. कांग्रेस केरल से गांधी परिवार के सदस्य को उतारकर दक्षिण भारत में पकड़ मजबूत रखना चाहती है. 2014 के बाद जब से कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही है, तब केरल, कर्नाटक, तेलंगाना ही ऐसे राज्य थे, जहां पार्टी बुरे दौर में भी मजबूत रही.  


'वायनाड के लोगों के राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी'


जब राहुल गांधी ने वायनाड सीट छोड़ने का ऐलान किया था तब प्रियंका गांधी ने कहा था कि वह वायनाड के लोगों को राहुल गांधी की कमी महसूस नहीं होने देंगी. प्रियंका गांधी ने कहा था, "वायनाड का प्रतिनिधित्व करके मुझे बेहद खुशी होगी. मैं वायनाड के लोगों को राहुल गांधी की कमी महसूस नहीं होने दूंगी. राहुल गांधी ने कहा है कि वो वायनाड आते रहेंगे. मैं भी सभी को खुश रखने के लिए कड़ी मेहनत करूंगी."


राजनीति में अब तक प्रियंका गांधी ने क्या कुछ किया?


प्रियंका गांधी भले ही चुनावी राजनीति में अब प्रत्यक्ष तौर पर शामिल हो रही हैं, लेकिन वह काफी वक्त पहले से राजनीति में शामिल रही हैं. साल 2022 में प्रियंका गांधी ने यूपी में कांग्रेस का दारोमदार कंधे पर ले लिया था. तब उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' कैंपेन चलाया था जिसे काफी सराहना मिली थी. हालांकि चुनाव में पार्टी को बहुत सफलता नहीं मिल सकी थी. 


प्रियंका गांधी के लिए कहा जाता है कि वह कांग्रेस के कई नेताओं को विश्वास में रखती हैं. पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाने का फैसला हो या फिर सचिन पायलट के बगावती तेवर को नजरअंदाज करना हो, ये सभी प्रियंका गांधी की स्ट्रैटजी का हिस्सा बताया जाता है.


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