नई दिल्ली: क्षेत्रीय समग्र आर्थिक समझौते (आरसीईपी) का हिस्सा नहीं बनने के सरकार के फैसले के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को कहा कि किसानों के भारी विरोध के चलते सरकार पीछे हटने को विवश हुई. प्रियंका ने ट्वीट किया, "बीजेपी सरकार पूरे गाजे बाजे के साथ आरसीईपी समझौते (किसान सत्यानाश समझौता) के जरिए भारत के किसानों के हित कुचलकर भारत के राष्ट्रीय हित को विदेशी देशों के हवाले करने जा रही थी."


उन्होंने कहा, ''देश के किसानों ने पूरी एकता के साथ इसका विरोध किया और स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी मेहनत को विदेशी कम्पनियों के फायदे की भेंट नहीं चढ़ने देंगे.'' कांग्रेस महासचिव ने कहा, ''बीजेपी सरकार को आज आरसीईपी समझौते पर अपना निर्णय रोकना पड़ा है. किसानों बहनों-भाइयों को बधाई. कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का शुक्रिया जिन्होंने इस मुद्दे पर किसानों का व्यापक साथ दिया.''


आरसीईपी समझौते पर भारत की न 


दरअसल, भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. आरसीईपी वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है. इसके मद्देनजर भारत ने यह फैसला किया है. भारत के इस फैसले से भारतीय किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आरसीईपी शिखर बैठक में अपने संबोधन में फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा. पीएम मोदी ने कहा कि प्रस्तावित समझौते से सभी भारतीयों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.


प्रधानमंत्री ने ये कहा


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आरसीईपी करार का मौजूदा स्वरूप पूरी तरह इसकी मूल भावना और इसके मार्गदर्शी सिद्धान्तों को परिलक्षित नहीं करता है. इसमें भारत द्वारा उठाए गए शेष मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक समाधान नहीं किया जा सका है. ऐसे में भारत के लिए आरसीईपी समझौते में शामिल होना संभव नहीं है.’’


विपक्षी पार्टी कांग्रेस आरसीईपी को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर थी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सरकार पर यह कहते हुए कटाक्ष किया कि ‘मेक इन इंडिया’ अब ‘बाय फ्राम चाइना’ (चीन से खरीदो) हो गया है.


आसियान नेताओं और छह अन्य देशों ने नवंबर, 2012 में कंबोडिया की राजधानी नोम पेह में 21वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान आरसीईपी वार्ताओं की शुरुआत की थी. आरसीईपी वार्ताओं को शुरू करने का मकसद एक आधुनिक, व्यापक, उच्च गुणवत्ता वाला और पारस्परिक लाभकारी आर्थिक भागीदारी करार करना था.


यह भी पढ़ें-

J&K में लागू होंगे 73वें और 74वें संविधान संशोधन के प्रावधान, पंचायती राज संस्थानों को मिलेगा बल- गृह राज्यमंत्री


RCEP समझौते पर दस्तखत से इंकार कर मोदी सरकार ने साधे कई निशाने, जानें- क्या हैं इसके अर्थ