नई दिल्लीः प्रवासी मजदूरों के लिए यूपी में बस चलवाने के प्रियंका गांधी के ऑफर पर योगी सरकार ने ब्रेक लगा दिया लेकिन इस दौरान हुई राजनीति के बीच प्रियंका गांधी के निजी सचिव का नाम खूब चर्चा में रहा. यह शख्स हैं संदीप सिंह, जिन्होंने बस चलवाने के लिए यूपी सरकार को ताबड़तोड़ पांच चिट्ठियां लिखीं. उनपर बसों की जानकारी देने में फर्जीवाड़े के आरोप में एफआईआर भी दर्ज हुई. कहीं न कहीं बस पॉलिटिक्स के केंद्र में प्रियंका गांधी के बाद संदीप सिंह ही रहे. वैसे तो यूपी कांग्रेस में संदीप सिंह का नाम कौन नहीं जानता लेकिन आप जानिए कि प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह कौन हैं और कैसे वह प्रियंका गांधी के खास बने ?
कौन हैं संदीप सिंह
करीब 35 साल के संदीप सिंह यूपी के प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद संदीप ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए और एमफिल की डिग्री ली. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही संदीप सिंह छात्र राजनीति में सक्रिय थे. जेएनयू पहुंचने के बाद 2007 में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए. इस दौरान वह सीपीआई-एमएल के छात्र संगठन आइसा से जुड़े रहे और बाद में आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने. दिलचस्प यह है कि उनकी छात्र राजनीति के करियर का बड़ा हिस्सा मनमोहन सिंह सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन करते हुए गुजरा. जेएनयू में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को काला झंडा तक दिखाया था.
मार्क्स-लेनिन से गांधी परिवार का सफर
यह वाकई दिलचस्प है कि कभी कांग्रेस सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल चुके संदीप सिंह अब प्रियंका गांधी के लिए रणनीति बनाने का काम करते हैं. संदीप सिंह के एक करीबी सूत्र के मुताबिक इसकी शुरुआत 2017 के आसपास हुई थी. तब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनने की तैयारी कर रहे थे और अलग-अलग लोगों से मिल रहे थे. इसी दौरान राहुल गांधी संदीप सिंह से भी मिले. हिंदी भाषा और दर्शनशास्त्र के अच्छे छात्र और सर्वहारा की राजनीति से निकले संदीप सिंह ने राहुल गांधी को प्रभावित किया और उन्हें "टीम राहुल" में जगह मिल गई. संदीप सिंह के करीबी बताते हैं कि वामपंथी विचारधारा में भारतीय दर्शन की कमी की वजह से संदीप सिंह को भी एक नए रास्ते की तलाश थी. सूत्रों के मुताबिक गुजरात चुनाव के करीब वह राहुल गांधी के भाषण तैयार करने में अहम भूमिका निभाने लगे.
प्रियंका गांधी के रणनीतिकार
इस बीच 2019 की शरुआत में जब प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासचिव और यूपी का प्रभारी बनाया गया तो राहुल गांधी ने संदीप सिंह को अपनी बहन की टीम में लगा दिया. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रियंका गांधी ने यूपी कांग्रेस का संगठन ऊपर से नीचे तक बदल डाला. इस पूरे बदलाव में प्रियंका गांधी, यूपी का काम देख रहे राष्ट्रीय सचिवों और नए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के साथ संदीप की बेहद अहम भूमिका थी. इतना ही नहीं प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ जब-जब मोर्चा खोला है उसके केंद्र में संदीप सिंह की रणनीति रही है. चाहे वह सोनभद्र हत्याकांड पर प्रियंका गांधी का आक्रामक रुख हो या हाल फिलहाल में उनकी बस पॉलिटिक्स, हर बार संदीप प्रियंका गांधी के दांव को सफल करने में पूरी ताकत से जुट जाते हैं.
मिशन यूपी की परीक्षा 2022 में
हालांकि यूपी कांग्रेस में अलग-थलग पड़े लोग संदीप की आलोचना करते हैं. कई वरिष्ठ नेता भी उनकी वामपंथी पृष्ठभूमि और उनके मिजाज की वजह से उन्हें पसंद नहीं करते लेकिन कोई खुल कर नहीं बोलता क्योंकि संदीप प्रियंका गांधी के मिशन यूपी के खास हिस्सा हैं. कांग्रेस में उनके आलोचक हों या चाहने वाले, लोग मानते हैं कि संदीप में क्षमता है. उनकी असली परीक्षा 2022 के विधानसभा चुनाव में होनी है और अजय लल्लू के साथ संदीप सिंह की इस परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हैं.
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