आर्टिकल 370: 'पाकिस्तान जिंदाबाद' वाले नारे पर सुप्रीम कोर्ट की याचिकाकर्ता को दो टूक, 'पहले आप लिख कर दें कि...'
Supreme Court Article 370 Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कांफ्रेंस सांसद मोहम्मद अकबर लोन से लिखित हलफनामा मांगा है कि वह जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानते हैं.
Article 370 Case: सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कांफ्रेंस सांसद मोहम्मद अकबर लोन से लिखित हलफनामा मांगा है कि वह जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानते हैं. लोन अनुच्छेद 370 मामले में मुख्य याचिकाकर्ता हैं. लोन ने विधानसभा में 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' का नारा लगाया था. अपने भाषणों और बयानों में भी वह अलगाववाद का समर्थन करते रहे हैं. इस बात की जानकारी मिलने के बाद जजों ने उनसे हलफनामा दाखिल कर कहने को कहा कि वह देश की अखंडता के पक्ष में हैं और जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानते हैं.
मोहम्मद अकबर लोन अनुच्छेद 370 मामले के याचिकाकर्ताओं की सूची में पहले नंबर पर हैं. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल उनके लिए पेश हो रहे हैं. अपनी जिरह के दौरान सिब्बल ने जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने का सुझाव दिया था. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने तुरंत इस मांग को ठुकरा दिया था. जजों ने साफ कहा था कि भारत के संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.
कोर्ट को क्या बताया गया
सुनवाई के 15वें दिन आज सामाजिक संगठन 'रूट्स इन कश्मीर' की तरफ से पेश एक वकील ने लोन के भारत विरोधी बयानों का मामला जजों के सामने रखा. उन्होंने कोर्ट को बताया कि लोन ने राज्य विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया था. इस दौरान कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इसे बेहद आपत्तिजनक बताया. मेहता ने लोन से लिखित हलफनामा लिए जाने की मांग की. उन्होंने कहा, "याचिकाकर्ता से यह लिखित में लिया जाए कि वह अलगाववाद और पाकिस्तान की आतंकवादी हरकतों का विरोध करता है."
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अकबर लोन ने आज तक अपने देशविरोधी बयानों के लिए माफी नहीं मांगी है. अब कोर्ट के संज्ञान में यह बात आने के बाद भी अगर अकबर लोन से सफाई नहीं मांगी गई तो लोगों में गलत संदेश जाएगा. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह लोन के वकील से इस बारे में सवाल करेंगे.
दोपहर 2 बजे लोन के वकील कपिल सिब्बल जैसे ही खड़े हुए, चीफ जस्टिस ने उनसे अपने मुवक्किल के बयानों पर सफाई मांगी. इस पर सिब्बल ने कहा कि हममें से कोई भी भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे रहा. लोन सांसद हैं और उन्होंने संविधान की शपथ ली है. सिब्बल ने यह भी कहा कि वह कानूनी पहलुओं पर बहस के लिए पेश हुए हैं. अपने मुवक्किल की तरफ से निजी तौर पर दिए किसी बयान का बचाव करने के लिए नहीं. अगर लोन पर कोर्ट को आपत्ति है तो वह एक दूसरे याचिकाकर्ता की तरफ से अपनी दलीलें रखने को तैयार हैं.
कपिल सिब्बल का बयान
कपिल सिब्बल के इस बयान पर जज आश्वस्त नज़र नहीं आए. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना ने भी कहा कि लोन से सफाई ली जानी ज़रूरी है. इसके बाद चीफ जस्टिस ने सिब्बल से कहा, "अपने मुवक्किल से कहिए कि वह हलफनामा दाखिल करें. उसमें यह कहें कि जम्मू-कश्मीर को भारत का अनिवार्य हिस्सा मानते हैं." इस दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोन को यह भी लिखना चाहिए कि वह किसी भी अलगाववादी गतिविधि का समर्थन नहीं करते. तभी उनकी बात पर सुनवाई होनी चाहिए.