मरीजों के लिए टेस्टिंग से लेकर अस्पताल में दाखिले तक समस्या, प्राइवेट हॉस्पिटल ले रहे हैं लाखों रुपये
हैरान करने वाली बात तो यह है कि अस्पताल ने 8 जून को अपने फेसबुक पेज पर सफाई जारी करते हुए यह कहा कि जो नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वो पुराना नोटिस है और नया नोटिस नए रेट्स के साथ 6 जून को जारी किया था.
नई दिल्ली: दिल्ली के रोहिणी सरोज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का हाल ही में एक नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. उस नोटिस में अस्पताल द्वारा कोविड मरीजों से दाखिल होने के लिए 3 लाख न्यूनतम अनिवार्य शुल्क मांगने की बात की गई. ICU और सिंगल रूम के अलग रेट बताए गए थे. 4 लाख से 8 लाख तक कि फीस चार्ज करने वाला यह अस्पताल कोरोना के दौर में अमानवीय तौर पर लोगों से पैसे ऐंठता हुआ नजर आया. अस्पताल को 8 जून को ही कोविड अस्पताल निर्धारित किया गया था.
हैरान करने वाली बात तो यह है कि अस्पताल ने 8 जून को अपने फेसबुक पेज पर सफाई जारी करते हुए यह कहा कि जो नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वो पुराना नोटिस है और नया नोटिस नए रेट्स के साथ 6 जून को जारी किया था. ऐसे में एबीपी न्यूज़ जब इसका सच जानने का प्रयास कर रहा था. दो अलग अलग व्यक्तियों ने एबीपी न्यूज़ से संपर्क करके बताया कि अस्पताल में जब उन्होंने फोन किया और कोरोना मरीज़ों के दाखिल होने के रेट पता किया तो दोनों हैरान हो गए.
यहां ये बता दें कि यह दोनों व्यक्ति रोहिणी के ही रहने वाले हैं और किसी भी प्रकार से एक दूसरे से जुड़े नही हैं, लेकिन इस देश के जागरूक नागरिक होने के नाते इन्होंने अस्पताल की सच्चाई सामने रखना चाहा. अजय गुप्ता MCD स्कूल में एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक हैं और वहीं शशि भूषण एक एडवोकेट हैं.
दोनों ने अस्पताल में पेशेंट का नंबर मिलाया और पूरी बात रिकॉर्ड की. इस रिकॉर्डिंग में अस्पताल का स्टॉफ साफ तौर से कोरोना मरीज के इलाज का रेट बयान करते हुए सुनाई दे रहे हैं. अजय गुप्ता ने अस्पताल में 8 जून की दोपहर को कॉल किया तो वहीं एडवोकेट ने 7 जून की शाम को अस्पताल के उसी नंबर पर फोन किया.
अजय गुप्ता ने इस बाबत कहा,'' कॉल रिकॉर्ड मैंने मीडिया को देने के लिए नहीं की थी. बस एक जागरूक नागरिक के नाते मैंने सोचा कि कॉल करूं. मैं एमसीडी स्कूल का टीचर हूं. मुझे खुद 3 महीने से तनख्वाह नही मिली है. मेरे कई साथी कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं. ऐसे में मैंने सोचा कि मैं अस्पताल में कॉल कर के जान लूं कि आखिर ऐसी कोई विपदा आ पड़ती तो इलाज कैसे हो पायेगा. सरकार को संज्ञान लेना जरूरी है. या तो लोगों को वेतन समय पर दें कि ऐसे अस्पताल से इलाज करवा पाएं. यह बेहद ही दुखद है. अस्पताल ने नए रेट के बारे में कुछ नही बताया. महामारी के समय जब इतना दिक्कतों का दौर है ऐसे में यह बेहद ही निंदनीय है. मैंने 6 जून के बाद 8 जून को दोपहर 1 बजे के करीब फोन किया था. मेरा मकसद ही सच सामने लाना है.''
शशि भूषण ने कहा, ''एडवोकेट होने के नाते मेरे पास कई लोग कोविड के इलाज को लेकर अपनी समस्याएं ला रहे थे. मैं खुद रोहिणी में रहता हूं. पास के ही कोविड प्राइवेट अस्पताल है. जब मैंने अस्पताल में बात की तो शुरू में फोन रिकॉर्ड नहीं किया. हालंकि जैसे ही उन्होंने 4 लाख का ज़िक्र किया वैसे ही रिकॉर्डिंग शुरू कर दी. सरकार को प्राइवेट अस्पतालों के रेट्स पर कैपिंग करनी चाहिए और इतने पैसे आम नागरिक से ना ले उस पर भी काम करना चाहिए. गरीब इंसान जाए तो फिर जाए कहां, ऐसे में तो वो मर ही जाएगा.''
हमने जब अस्पताल की भी प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया तो सभी प्रयास विफल रहे. अस्पताल में से किसी ने भी आगे आकर हमें अपना रुख स्पष्ट नही किया. वहीं एबीपी न्यूज़ ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन से बात की. उन्होंने कहा कि हमने सभी प्राइवेट अस्पतालों से रेट मंगाए हैं और उन सभी रेट्स को पब्लिश किया जाएगा.