PM की बेईमानों को चेतावनी, राष्ट्रहित में लिए जाएंगे कड़े फैसले
मुंबई: बेईमानों की 30 दिसंबर के बाद ‘‘परेशानी बढ़ने’’ की चेतावनी देते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि वह अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिये कोई फैसला नहीं करेंगे और व्यापक राष्ट्रहित में कठिन निर्णय लेने से नहीं हिचकिचायेंगे. इसके साथ ही उन्होंने पूंजी बाजारों से अधिक कर योगदान पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री ने आर्थिक राजधानी मुंबई में सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपने संबोधन में बेईमानों से कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ देश के मूड को कम नहीं आंकें. उन्होंने कहा, ‘‘बेईमान लोगों, तुम्हें देश के 125 करोड़ लोगों के मूड को कम नहीं आंकना चाहिये. तुम्हें इससे डरना चाहिये. बेईमानों की बर्बादी का समय आ गया है. यह सफाई अभियान है.’’ प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के बाद पुराने 500, 1,000 रुपये के नोटों को बैंकों में जमा कराने की 30 दिसंबर की समयसीमा समाप्त होने में एक सप्ताह रह जाने पर ये बातें कहीं हैं. बांद्रा कुर्ला परिसर में एमएमआरडीए ग्राउंड में उन्होंने कहा, ‘‘50 दिन के बाद से ईमानदार लोगों की परेशानी कम होनी शुरू होगी और बेईमानों की परेशानियां बढ़ने लगेंगी.’’ प्रधानमंत्री ने इससे पहले पातालगंगा में सेबी के एक कार्यक्रम में और अधिक ‘‘ठोस और बेहतर आर्थिक नीतियों’’ को बढ़ाने का वादा करते हुये कहा कि वह अल्पकालिक राजनीति फायदे के लिये ऐसी नीतियां नहीं लायेंगे बल्कि व्यापक राष्ट्रहित में इन्हें आगे बढ़ायेंगे. इस समारोह में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरण जेटली, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और सेबी अध्यक्ष यू.के. सिन्हा सहित केन्द्र और राज्यों के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
मोदी ने ‘‘उचित, दक्ष और पारदर्शी तरीके’’ से विभिन्न बाजार भागीदारों से कर योगदान बढ़ाने का पक्ष लिया. उन्होंने नियामकों से कहा कि वह खजाने में बाजार कारोबारियों का योगदान बढ़ाने के बारे में विचार करें. उन्होंने कहा ‘‘खजाने में कम करों का योगदान हो सकता है हमारी कर ढांचे की वजह से हो. कुछ वित्तीय आय पर कम अथवा शून्य कर दर रखी गई है.’’ प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का विरोध कर रही पार्टियों पर निशाना साधते हुये कहा, ‘‘यह मामूली लड़ाई नहीं है. जिन्होंने मलाई खाई है वह हमारे इस कदम को निष्फल करने में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ 8 नवंबर को एक बड़ा फैसला किया है. देश के 125 करोड़ लोगों ने इसका दर्द झेला है लेकिन उन्होंने मेरा समर्थन करना नहीं छोड़ा. मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब तक हमारी जीत नहीं होती है यह लड़ाई खत्म नहीं होगी.’’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सत्ता संभालने के पिछले 30 माह के दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव किया है. जब उन्होंने सत्ता संभाली थी तब अर्थव्यवस्था काफी खराब स्थिति में थी. चालू खाते का घाटा और राजकोषीय घाटा काफी उंचा था. मुद्रास्फीति दहाई अंक के करीब थी और विदेशी मुद्रा भंडार भी कम था.मोदी ने कहा कि कई तरह की परेशानियों के बावजूद उनकी सरकार ने इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काफी सुधार किया. आज भारत सुस्ती से जूझ रही दुनिया में एक आकषर्क चमकता स्थान है. ‘‘पूरी दुनिया आर्थिक सुस्ती से जूझ रही है जबकि भारत को एक आकषर्क चमकती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में उसकी वृद्धि सर्वाधिक रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है.’ मोदी ने वस्तु एवं सेवाकर के मुद्दे पर कहा कि देश का यह सबसे बड़ा कर सुधार जल्द ही वास्तविकता बनेगा.
जीएसटी को लेकर हालांकि, अभी तक केन्द्र और राज्यों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है. जीएसटी व्यवस्था में करदाताओं पर अधिकार और दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर अभी सहमति नहीं बन पाई है.
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बजट को तय समय से पहले पेश किये जाने और अर्थव्यवस्था के सभी उत्पादक क्षेत्रों को उपयुक्त संसाधन उपलब्ध कराने से उत्पादकता में सुधार आयेगा.
उन्होंने पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की भी सराहना की. इस साल बड़ी संख्या में प्रारम्भिक सार्वजनिक निर्गम बाजार में आये और पूंजी बाजार का विकास हुआ. उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिये वित्तीय बाजार काफी महत्वपूर्ण होते हैं.