नई दिल्ली: देश में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में जिन लोगों ने सबसे अधिक योगदान दिया उनमें एक प्रमुख नाम प्रोफेसर यशपाल का भी हैं. आज प्रोफेसर यशपाल का जन्मदिन है. विलक्षण प्रतिभा के धनी प्रो यशपाल के शिक्षा को बोझ रहित बनाने के लिए किए गए प्रयासों से ही भारत के एजूकेशन सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद मिली. आइए जानते हैं प्रोफेसर यशपाल के जीवन से जुड़ी खास बातें-
विज्ञान और गणित को लोकप्रिय बनाने के लिए यशपाल ने कई प्रयास किए. जिसमें से उनके दूरदर्शन प्रसारित होने वाले साइंस पर आधारित कार्यक्रम टर्निंग प्वाइंट का बहुत बड़ा योगदान रहा. प्रोफेसर यशपाल स्वयं इस कार्यक्रम को होस्ट करते थे और आसान तरीकों से विज्ञान और गणित की जटिलताओं को हल करते थे.
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उनका मकसद गणित और विज्ञान को आम इंसान के बीच लोकप्रिय बनाना था. इसीलिए वे 90 साल की उम्र में भी वे संचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर लोगों के जटिल से जटिल सवालों का बड़े ही आसान ढंग से जवाब देते थे.
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शिक्षा के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण प्रदान किया. उनका जन्म 26 नवंबर 1926 को पाकिस्तान में हुआ था. पंजाब यूनिवर्सिटी से भौतिक विज्ञान की पढ़ाई पूरी की और बाद में पीएचडी की उपाधि हासिल की.
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प्रोफेसर यशपाल ने मुंबई स्थित टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान से अपने करियर की शुरूआत की. बाद में वे वर्ष 1973 में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के पहले निदेशक बनाए गए. योजना आयोग के वे मुख्य सलाहकार भी रहे.
प्रोफेसर यशपाल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे. वर्ष 2007-12 तक वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. प्रोफेसर यशपाल बच्चों को विज्ञान पढ़ाने पर अधिक जोर देते थे उनका कहना था जीवन में विज्ञान की शिक्षा व्यक्ति को दुनिया को समझने का नजरिया देती है.
बच्चों के सवालों का जवाब देना प्रोफेसर यशपाल को बहुत पसंद था. वे अधिकतर समय बच्चों के बीच गुजारते थे. कैसर जैसी बीमारी होने के बाद भी अतिंत सांस तक शिक्षाविद् बने रहे और लोगों को प्रेरित करते रहे. 24 जुलाई 2017 को उत्तर प्रदेश के नोएडा में उनका निधन हो गया.