पटना: बिहार में शराबबंदी कानून की सख्ती के बाद आलोचनाओं का सामना कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून में कई बड़े बदलाव करने के फैसले लिए हैं. नये प्रस्ताव के मुताबिक, सजा कम की जाएगी और जमीन, घर, गाड़ियों को जब्त नहीं किया जाएगा. नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मद्यनिषेध एवं उत्पाद कानून (शराबबंदी कानून) के संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. अब इसे मानसून सत्र में पेश किया जाएगा.


क्या कहते हैं नये नियम?
- नए प्रस्ताव के मुताबिक, अब शराब बरामदगी के बाद घर, वाहन और जमीन को जब्त नहीं किया जाएगा.


- पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने पर 50 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा. अगर दोषी जुर्माना भरने में नाकामयाब रहता है तो उसे तीन महीने की सजा होगी. पहले पांच साल के कारावास की सजा थी. वहीं दोबारा शराब पीते पकड़े जाने पर एक से पांच साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.


- बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि संशोधन विधेयक में सजा के प्रावधानों में कमी की गई है. साथ ही पुलिस किसी को तंग न करे इसके लिए भी प्रावधान किया जा रहा है.


- मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक-2016 में कड़े सजा के प्रावधान किए गए थे. इसके तहत तहत पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और नशे में पकड़े जाने पर न्यूनतम एक लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक आर्थिक दंड का प्रावधान था. जिसमें बदलाव किये गये हैं. सरकार के दावों के मुताबिक, शराबंदी का उल्लंघन करने के आरोप में सवा लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


- किसी व्यक्ति के शराब पीते पकड़े जाने पर परिवार में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों की बजाए सिर्फ पीने वाले को ही पकड़ा जाएगा. शराब मिलने वाली जगह पर आवश्यक कार्रवाई का अधिकार जिलाधिकारी को दिया गया है.


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- अगर कोई मिलावटी या अवैध शराब बेचता है तो ऐसे मामले में पुराने कानून की तुलना में अब और भी अधिक सजा का प्रावधान किया गया है. किसी होटल या दुकान में शराब पीते कोई पकड़ा गया तो अब पूरे परिसर की बजाए सिर्फ उसी कमरे को सील किया जाएगा जिसमें शराब पाई जाएगी.


गौरतलब है कि दो साल पहले यानी अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. ध्यान रहे कि नीतीश कुमार ने कई मौकों पर सार्वजनिक मंचों से यह घोषणा की थी कि राज्य के शराबबंदी कानून में जल्द संशोधन किया जाएगा. नीतीश ने कहा था कि शराबबंदी कानून का कई स्थानों पर दुरूपयोग की शिकायतें मिल रही है.


विपक्षी दलों का कहना था कि शराबबंदी के बावजूद सूबे में बड़े पैमाने पर शराब की बिक्री हो रही है. इसमें बड़े अफसर और नेता शामिल हैं. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने पिछले दिनों कहा था कि राज्य में शराब की होम डिलवरी हो रही है.


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