अब मिलेगी ‘तीन तलाक’ से आजादी, लोकसभा में आज बिल पेश करेगी मोदी सरकार
इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया था और सरकार को कानून बनाने के लिए कहा था. बिल में शामिल सजा के प्रावधान को लेकर बवाल शुरू हो चुका है.
नई दिल्ली: मुस्लिम महिलाओं पर त्वरित तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत जैसे अत्याचारी प्रथा पर ताला लगने वाला है. मोदी सरकार आज तीन तलाक के खिलाफ लोकसभा में बिल पेश करने वाली है, लेकिन इस बिल को लेकर विवाद और राजनीति दोनों शुरू हो गई है.
संसद में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद आज दोपहर बाद बिल पेश करेंगे. बिल पेश होने से पहले ही इसमें शामिल सजा के प्रावधान को लेकर बवाल शुरू हो चुका है.
तीन तलाक: जानें- शुरु से लेकर अबतक इस मामले की बड़ी बातें
बिल के बारे में जानें?
इस बिल का नाम मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल रखा गया है. बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी और असंवैधानिक घोषित किया गया है. हर तरीके से जैसे- बोलकर, लिखकर, मैसेज, फोन, व्हाट्सएप, फेसबुक से तीन तलाक देना अब गैर कानूनी होगा. ऐसा करने वालों को तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
साथ ही इस बिल में पीड़ित महिला को भरण पोषण, गुजारा भत्ता और नाबालिग बच्चे को रखने का अधिकार दिया जाएगा. जुर्माने की रकम, गुजारा भत्ता और बच्चों के बारे में फैसला मजिस्ट्रेट को करना होगा.
बिल में सजा के प्रावधान पर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल
कांग्रेस तीन तलाक के तो खिलाफ है, लेकिन बिल में सजा के प्रावधान पर कांग्रेस और कई विपक्षी पार्टियों ने सवाल खड़े कर दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस संसद में बिल का समर्थन कर सकती है. देर शाम कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक भी की. कांग्रेस का मानना है कि सरकार प्रस्तावित कानून को और पुख्ता बना सकती है.
सरकार पर राजनीति करने का आऱोप
वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार की मंशा पर सवाल उठा रही है कि सरकार ने सभी पक्षों से चर्चा किए बिना और सुप्रीम कोर्ट की अनदेखी करते हुए बिल तैयार कर दिया है. साथ ही सरकार पर तीन तलाक को लेकर राजनीति करने का भी आरोप लगाया.
बुधवार दोपहर पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी सरकार पर तीन तलाक को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया. विपक्ष और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आरोपों को सरकार सिरे से खारिज कर रही है.
मुस्लिम महिलाओं के लिए मोदी सरकार के इस बिल पर याचिकाकर्ता फरहा फैज का कहना है कि बिल में अभी भी कई कमियां हैं जैसे कि तीन तलाक पर पूरी पाबंदी और जुर्माने की रकम पीड़ित महिलाओं को मिलनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कानून बनाने के लिए कहा था
आपको बता दें कि इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया था और सरकार को कानून बनाने के लिए कहा था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में करीब 67 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें सबसे ज्यादा मामले यूपी से हैं.
यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने तीन तलाक का मुद्दा जोर शोर से उठाया था. बीजेपी को यूपी में बंपर जीत भी मिली. खुद पीएम मोदी यूपी से लेकर गुजरात चुनाव और लाल किले तक से तीन तलाक का जिक्र कर चुके हैं.