नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ट्रांसजेंडर्स को भी यौन शोषण के मामलों में महिलाओं के समान कानूनी संरक्षण देने पर सुनवाई करेगा. आज कोर्ट ने याचिका को अहम बताते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया. वकील रीपक कंसल की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि IPC की धारा 354 के तहत महिलाओं को गलत तरीके से छूने या उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने को दंडनीय अपराध माना गया है. ऐसी घटनाएं किन्नरों के साथ आम होती हैं. लेकिन उन्हें कोई कानूनी संरक्षण हासिल नहीं है.
याचिका में आगे कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 14 सबको समानता का अधिकार देता है. अनुछेद 21 सबको सम्मान के साथ जीवन का हक देता है. लेकिन ट्रांसजेंडर समुदाय को यह हक हासिल नहीं हो पा रहे हैं. ज़्यादातर कानून महिलाओं या पुरुषों को नज़र में रख कर बनाए गए हैं.
याचिकाकर्ता की मांग थी कि कम से कम यौन शोषण से जुड़े कानूनों में बदलाव किया जाना चाहिए. इसमें ट्रांसजेंडर्स के साथ यौन दुर्व्यवहार को भी शामिल करने की ज़रूरत है. इससे यह वर्ग भी सम्मान से जी सकेगा. पुलिस भी ट्रांसजेंडर्स की शिकायत पर यह नहीं कह सकेगी कि इस मसले पर कानून नहीं है.
आज मसले की संक्षिप्त सुनवाई में कोर्ट ने इसे अच्छी याचिका करार दिया. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रासुब्रमण्यम की बेंच ने इस पर सुनवाई को ज़रूरी मानते हुए केंद्र को नोटिस जारी कर दिया.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह से कहा कि वह उन पुराने फैसलों की लिस्ट दें जिनमें कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामलों में अपनी तरफ से दिशानिर्देश जारी किए हैं. गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन शोषण, अप्राकृतिक यौनाचार की धारा 377 जैसे कई मसलों पर अहम फैसले दे चुका है.
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